कुंडली में 1 से 12 स्थान में मंगल का प्रभाव

चित्र:2005-1103mars-full.jpg - विकिपीडिया

कुंडली में 1 से 12 स्थान में मंगल का प्रभाव 

 

प्रथम भाव : ऐसे जातक अच्छी तंदुरस्ती वाले होते हे , कुछ तरह से स्पोर्ट्स की एक्टिविटी में वो ज्यादा भाग लेते हे , वो साहसिक, हिम्मतवान , और अधीरे होते हे , आत्मविश्वाश से भरपूर , शिस्त के आग्रही और दुसरो पर खुदका वर्चस्व डालने वाले होते हे , कभी कभी उनके मुँह या सिर पे घायल होने का निशान होता हे। 

दूसरा भाव : ऐसे जातक काम बोलने वाले और तीक्ष्ण भाषा के मालिक होते हे , अनुभूति और आवेश में आकर खर्चा करने वाले होते हे।  खुदकी जरूरियात पूरी करने के लिए वो खुद बहुत अधीरे होते हे , उनको जो चाहिए वो तुरंत ही मिल जाना चाहिए ऐसी उनको सोच होती हे , ऐसे जातक की वाणी कठोर और उग्र होती हे।  कभी कभी उनका परिवार के साथ जगडा भी हो जाता हे। 

तीसरा भाव : ऐसे जातक दलील और चर्चा में खूब प्रतिभावान  होते हे ,  वो निखलास और स्पष्टवक्ता भी होते हे।  भाई बहेनो के साथ उनका विवाद सामान्य होता हे , तीसरा स्थान पडोशी का होता हे इस लिए उनको कभी पडोशी के साथ बनती नहीं हे या जगडा होता रहता हे। 

चतुर्थ भाव : ऐसे जातक गुस्से वाले और सवेंदनशील होते हे , आंतरिक दुःख , एकलता और बेचैनी का अनुभव करते हे , खुदके घर और मिलकत के साथ इनको जुड़ा हुआ रहना अच्छा लगता हे। 

पंचम भाव : ऐसे जातक की अभिव्यक्ति खूब प्रबल होती हे। स्पोर्टस जैसी प्रवृति के शौखिन होते हे।  छोटे बच्चे और खुद के बच्चे पर उनका प्रभाव सख्त होता हे , उनके साथ बहुत ही सख्ताई  से व्यवहार करते हे। प्रेम प्रकरण में भी उनका आवेग कुछ ज्यादा होता हे और उनको जल्दी ऐसी बाबतो में बुरा लग जाता हे। 
 
मंगल का गोचर फल  

छठा भाव : ऐसे जातक खुदके काम को समर्पित होते हे , काम करना उनको बहुत अच्छा लगता हे , मशीनरी , औजार के साथ जो भी इंडस्ट्री होती हे उनके साथ उनका लगाव रहता हे , सहकर्मचारी के साथ हरिफाई , और दलील ज्यादा करते हे , कभी कभी काम की वजह से उनका अकस्मात् होता हे।  

सप्तम भाव : इस स्थान में बैठा मंगल लग्नजीवन के लिए अच्छा नहीं हे , जब मंगल नीच या अस्त का हो तो बहुत ही परेशानी का सामना करना पड सकता हे।  कभी कभी व्यक्ति शारीरिक शोषण का भोग बन सकता हे। 
साझेदारी में उनका जगडा होता रहता हे। 

अष्ठम भाव : ऐसे जातक वाले लोगो के लिए जातीयता प्राथमिक जरूरियात होती हे , वारसाई और पैतृक सम्पन्ति में बहुत बड़ा विवाद होने  संभावना रहती हे , ऐसे जातक  को गूढ़ और आध्यातिमिक ज्ञान में खूब रस होता हे। 
 
मंगल दोष  

नवम भाव : ऐसा जातक दूसरे ऊपर खुदके विचार को डालने वाला होता हे , ससुराल पक्ष के साथ ऐसे जातक के अच्छे सम्बन्ध नहीं होते ,वो खुद जो बोल रहे हे वो ठीक हे ऐसा उनका सोचना होता हे। 

दशम भाव : ऐसे जातक लोगो का ध्यान खुद की तरफ खींचने वाले होते हे , उनको स्वतंत्र व्यसाय खूब अच्छा लगता हे , ऐसे जातक राजकरण के साथ जुड़े हुए होते हे , वो  काम में इतने व्यस्त होते हे की परिवार में ध्यान नहीं दे पाते। 

ग्यारवा भाव : ऐसा जातक बहुत बड़े समूह का लीडर बन सकता हे , ऐसा जातक मित्रो को बहुत ही मददरूप होता हे , लेकिन फिरभी उनका मित्र के साथ विवाद होता हे , किसीभी तक को पा लेने की उनमे अच्छी सुजबुझ होती हे 
 
 
शादी ब्याह और मंगल  

बारवा भाव : ऐसे जातक जूनून वाले होते हे , उनके मनमे हमेशा एक प्रकार का जूनून भरा रहता हे , उनके अंदर छुपा स्वमान और आत्मविश्वाश होता हे।  अगर मंगल ख़राब हो तो विवादी, जगडाखोर , और जेलयात्रा करने वाला होता हे।

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