शुक्र का गोचर फल : 1 to 12

शुक्र का गोचर फल : 1 to 12


शुक्र का गोचर फल : 1 to 12 


प्रथम भाव : गोचरवश शुक्र जब राशि से प्रथम अर्थात जन्म राशि पर भ्रमण करता हे , तब सुख और धन  की प्राप्ति होती हे , व्यापार में वृद्धि  होती हे , जलीय पदार्थो तथा सुघंधित द्रव्यों तथा सजावटी , सुन्दर आदि वस्तुओ से आय होती हे , हर प्रकार का आराम मिलता हे , और मन - चित प्रसन्न रहता हे, शस्त्रुओ का नाश होता हे , परन्तु व्यक्ति कुछ दुराचार भी करता हे , विद्या अध्ययन में सफलता मिलती हे , विवाह और संतान जन्म का अवसर आता हे , सब तरह के आमोद प्रमोद और वैभव विलास प्राप्त होते हे , सत्य की और प्रवृति बढ़ती हे , प्रेमिका से मिलना होता हे। 

द्वितीय भाव : गोचरवश जब शुक्र द्वित्य भाव में भ्रमण करता हे , तो धन लाभ होता हे , और सुख मिलता हे , राज्य की और से मान सम्मान मिलता हे , संतान प्राप्त होती हे , विद्या लाभ मिलता हे और विद्या की उन्नति होती हे , शत्रुओ का नाश होता हे , उधार दिया पैसा मिल जाता हे और पत्नी को पद प्राप्त होने सम्भावना रहती हे , मित्रो से लाभ होता हे ,और शरीर स्वस्थ रहता हे , उत्तम स्त्री सुख मिलता हे , गायन वादन में रूचि बढ़ती हे , नविन वस्त्र तथा आभूषण धारण करने का समय होता हे , 

तृतीय भाव : जन्म राशि से जब शुक्र तृतीय भाव में भ्रमण करता हे , तो मित्र सुख मिलता हे ,मित्रो की वृद्धि होती हे , व्यक्ति का साहस बढ़ता हे, और धन की प्राप्ति होती हे , मान सम्मान में वृद्धि होती हे , और भाग्योदय होता हे , राज्य सरकार की और से कृपा प्राप्त होती हे और बहिन भाइयो का सुख बढ़ता हे , शत्रु दौड़ जाते हे और शत्रुओ का नाश होता हे ,युक्ति काम आती हे और सूझ बुझ साथ रहती हे , धर्म में रूढ़ि बढ़ती हे। 

चतृर्थ भाव : जन्म राशि से जब शुक्र गोचरवश चतृर्थ भाव आता हे तो लाभ होता हे , और संतान सुख मिलता हे , मनोकामनाएं पूर्ण होती हे , और धन की प्राप्ति होती हे , जनता से प्रेम और संपर्क बढ़ता हे ,शत्रु नष्ट होते हे , वैभव विलास की सामग्री मोटर साइकिल , कार और फ्रिज , टीवी , तथा सुन्दर फर्नीचर प्राप्त होता हे , गृहस्थ सुख मिलता हे , शरीरी तथा मन में विशेष बल की अनुभूति होती हे। 

पंचम भाव : गोचरवश शुक्र जब पंचम भाव में भ्रमण करता हे ,तो मन चित प्रसन्न रहता हे , यश में वृद्धि होती हे , पुत्रादि से प्रेम प्यार बढ़ता हे , धन की प्राप्ति होती हे ,और उत्तम प्रकार  खाना पीना मिलता हे , संतान की प्राप्ति होती हे , और पुत्र प्राप्त होता हे , प्रेमी प्रेमिका मिलन होता हे , और सम्बन्ध पक्के रूप से स्थापित हो जाते हे , विद्या लाभ मिलता हे ,और विभागीय परीक्षाओ में सफलता प्राप्त होती हे , प्रेम विवाह की संभावना रहती हे, आमोद प्रमोद के स्थानों क्लब ,सिनेमा आदि में रूचि बढ़ती हे , शत्रुओ पर विजय प्राप्त होती हे। 

षष्ठ भाव : जन्म राशि में गोचरवश शुक्र जब छठे भाव संचार करता हे तो स्त्री के कारन पीड़ा होती हे , शत्रुओ की वृद्धि और विजय होती हे और शत्रुओ व विरोधियो से संधि करने पर विवश होना पड़ता हे , उत्साह में कमी आती हे ,और मान सम्मान भी कम होता हे , भागीदार के व्याप्पर सम्बन्धी विवाद होता हे , स्त्री विमुख हो जाती हे ,यात्रा में परेशानी , दुःख और दुर्घटना द्वारा हानि का भय रहता हे , बीमारी का भ्रम लगा रहता हे। 

सप्तम भाव : गोचरवश शुक्र जब सप्तम भाव में आता हे  तो स्त्री से विवाह रहता हे , स्त्री अस्वस्थ रहती हे , अन्य स्त्रीओ से प्रेम के कारण हानि और अपमान सहना पड़ता हे , व्यक्ति अकेलापन अनुभव् करता हे , यात्राए अधिक करनी पड़ती हे और परेशानी ही होती हे , अपमानित होने का डर रहता हे ,अधिक परिश्रम करने पर ही आजीविका चलती और निर्वाह होता हे , चर्म रोग का भय होता हे , जननेंद्रिय सम्बन्धी रोगो से कष्ट हो सकता हे। 

अष्ठम भाव :  जन्म राशि से जब शुक्र गोचरवश आठवे भाव आता हे तो सुख की प्राप्ति और लाभ होता हे , धन प्राप्त होता हे , और सुखो में वृद्धि होती हे , व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हे , विद्या में उन्नति होती हे , कुटुम्बियों से धन तथा सुख की प्राप्ति होती हे , मान सम्मान बढ़ती हे और मक़ान प्लाट एवं मूलयवान सामान की प्राप्ति होती हे , स्त्री द्वारा लाभ मिलता हे , विलास की सामग्री में वर्द्धि होती हे। 

नवम भाव : गोचरवश शुक्र जब नवम भाव में संचार करता हे तो मूल्यवान वस्तुओ , कपडे आदि की प्राप्ति होती हे , उत्तम वस्त्र तथा आभूषण मिलते हे , आशा से अधिक लाभ होता हे , सरकार की और से कृपा प्राप्त होती हे , स्त्री द्वारा भाग्य में वृद्धि होती हे , मित्रो से लाभ मिलता हे , भाइयो से लाभ एवं सहायता प्राप्त होती हे , और परस्पर प्यार बढ़ता हे , किसी प्रकार का स्थायी लाभ भी प्राप्त होता हे , गृह में मांगलिक तथा धार्मिक उत्सव होते हे , यात्रा में सुख मिलता हे , लम्बी यात्रा होती हे , विदेश यात्रा भी संभव होती हे। 

दशम भाव : जन्म राशि से जब शुक्र गोचर वश दशम भाव में आता हे तो मानसिक चिंता बढ़ती हे , मान और धन की हानि होती हे , नौकरी , रोजगार , व्यवसाय , आदि में रुकावट एवं विध्न आते हे , कार्यो में असफलता मिलती हे , सरकार की और से परेशानी होती हे , मान सम्मान को ठेश  लगने की आशंका रहती हे , किसी चालक स्त्री से हानि का डर रहता हे , स्त्री वर्ग से दुःख की प्राप्ति होती हे , और सम्बन्धियों से मन मुटाव हो जाता हे , शरीर में पीड़ा रहती हे , और शत्रुओ में वृद्धि होती हे , जन साधारण से विरोध खड़ा हो जाने की आशंका रहती हे , कारोबार में उतार चढाव रहता हे। 

एकादश भाव : जन्म राशि से जब शुक्र गोचरवश एकादश भाव में भ्रमण करता हे तो मित्रो , स्नेहियों व् परिजनों से सहायता और लाभ प्राप्त होता हे , सर्व मनोकामना पूर्ण होती हे , धन की वृद्धि होती हे , सभी कार्यो में सफलता मिलती हे , मित्रो का पूर्ण सहयोग प्राप्त होता हे , व्यक्ति का मान सम्मान बढ़ता हे , उत्तम भोजन की प्राप्ति होती हे , स्त्री द्वारा सुख मिलता हे ,तथा स्त्री सम्बंधित सुखो में वृद्धि होती हे , व्यक्ति प्रसन्न रहता हे , और आनंद अनुभव करता हे , आर्थिक स्तिथि उत्तम रहती हे , विद्या संतान लाभ होता हे। 

द्वादश भाव : शुक्र गोचरवश जब द्वादश भाव में आता हे स्त्री और गृहस्थ सुख मिलता हे , धन लाभ होता हे , और रात्रि सुख की प्राप्ति होती हे , धन प्राप्त होता हे , व्यक्ति को मित्रो से लाभ और सहायता प्राप्त होती हे , उस समय में धन , अन्न और विलास के सुगन्धित पदार्थोदी की प्राप्ति होती हे ,गृहस्थ कार्यो पर थोड़ा खर्चा भी करना पड़ता हे।  





एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ