शनिदेव का 12 भाव में फल

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शनिदेव  का 12 भाव में फल 


प्रथम भाव : इसको स्वस्थान कहते हे , प्रथम स्थान में शनि होने हे व्यक्ति परिपक्व और शिस्तबद्ध होते हे , ऐसे जातक बातचीत में गंभीर और कभी कभी कम बोलनेवाला होता हे , छोटे भाई बहेनो के साथ उनके समबन्ध ठीक तो होते हे लेकिन उसमे कुछ अंतर रहता हे , शादी देर से होने की सम्भावना होती हे , अगर इस स्थाम में शनि अच्छी स्तिथि में हो तो उनको कारकिर्दी में बहुत सी सफलता मिलती हे। 

दूसरा भाव : ऐसे जातक की वाणी कठोर और उनकी वाणी में कोई बड़े अनुभवी व्यक्ति की छबी नजर आती हे , ऐसे जातक को परिवार से बंधन और नियंत्रण का अनुभव होता हे , कुछ तरह से वो परिवार से अलग रहकर स्वाधीन बनते हे , ऐसे जातक बड़ी उम्र में खुद की सम्पन्ति बनाते हे।  ससुराल पक्ष के साथ उनके सम्बन्ध कुछ अच्छे नहीं रहते , बार बार कुछ न कुछ विवाद होने लगता हे।  शनि की दृष्टि आयुष्य स्थान पर होने से ये दीर्घायु होते हे , अगर शनि बलवान हो तो शनि की महादशा में बहुत ही धन कमाते हे। 

तृतीय स्थान : शनि के लिए यह स्तिथि बहुत ही अच्छी हे , ऐसे व्यक्ति अच्छे लेखक, नवलकथाकार होते हे , खुदका व्यवसाय करते हे , संतान के साथ उनका विवाद चलता रहता हे , शनि की अच्छी स्तिथि जातक को अच्छी प्रतिभा और रचनात्मकता देता हे , ऐसे जातक को संशोधन कार्य करना अच्छा लगता हे , शनि अगर निर्बल हो तो भाई बहेनो के साथ उनका सम्बन्ध अच्छा नथी रहता , और ऐसे जातक अध्यात्म और गूढ़ ज्ञान में बहुत ही रस लेते हे , और इस चीज का उनको ज्ञान भी होता हे। 

शनि साढ़ेसाती उपाय  

चतुर्थ स्थान : शनि की यह स्तिथि अच्छी नहीं हे , ऐसे लोग ह्रदय से दुखी रहते हे , 36 साल की उम्र के बाद वो खुद की सम्पति बनाते हे , माता के साथ उनके समबन्ध असंतोष भरे रहते हे , शनि की तीसरी दृष्टि रोग स्थान पर होने से व्यक्ति बीमारी से दूर रहता हे , अगर शनि निर्बल हो जातक को हड्डीओं , संधिवा , और वायु के रोग होते हे ,अगर ऐसे जातक खुदका बिज़नेस करते हे तो वो बहुत ही महेनत करते हे , लेकिन हमेशा वो सुख की खोज में रहते हे। 

पंचम स्थान : इस स्थान में बैठा शनि संतान को लेकर चिंता करवाता हे, प्रेम प्रसंगो में निष्फलता और अभ्यास में विध्न देता हे , शनि की अच्छी स्तिथि जातक को अच्छी क्रिएटिविटी देता हे , और अच्छी सम्पन्ति के मालिक भी बनता हे , परन्तु शनि निर्बल होतो व्यक्ति अलग होता हे , उसका कोई मित्र नहीं होता हे , और उसकी  शादी भी बहुत देर से होती हे। 

षष्ठम स्थान : शनि की यह स्तिथि बहुत ही अच्छी होती हे ,ऐसे जातक शत्रु के सामने विजय प्राप्र्त करते हे , समय के साथ नौकरी और बिज़नेस में बहुत ही प्रगति करते हे , ऐसा जातक बड़ी कम्पनी में अच्छे पद पर होता हे , और वो मजूरवर्ग , गरीब लोग और सब के प्रति दयाभाव रखने वाला होता हे , जो लोग NGO चलाते हे ,ऐसे लोगो पर शनि की दृष्टि अच्छी होती हे , ऐसे जातक को नौकर चाकर का सुख भी अच्छा मिलता हे। 

सप्तम भाव : शनि ग्रह की सातवे स्थान में स्तिथि राजकारणी , धंदादारी व्यक्ति और सतावर मिलकत के साथ होने वाले लोगो के लिए अच्छी साबित होती हे , सातवे स्थान में बैठा शनि युवक और युवती की शादी में विलम्ब करवाता हे , ऐसा शनि व्यक्ति को बहुत सी सफलता देता हे ,लेकिन बहुत सारे विलम्ब के बाद , अगर शनि की ऐसी स्तिथि कुंडली में हो तो जातक को कभी भी हार मानके महेनत करना नहीं छोड़ना चाहिए , कभी कभी ऐसा शनि जातक को खुद से बड़ी उम्र की व्यक्ति के साथ शादी करवाता हे। 

अष्ठम भाव : इस स्थान में बैठा शनि जातक को आयुष्य लम्बा देता हे , शनि की स्तिथि अच्छी हो तो ऐसा जातक जमीन से जुडी चीजे  जैसे की गैस, ऑइल , पेट्रोलियम , धातु , ऐसे व्यवसाय करता हे , ऐसा जातक बहुत ही जिम्मेदारी के साथ जीता हे , उनके जीवनमे अचानक चढ़ाव उतार आते हे ,वो महेनतु और गूढ़ ज्ञान में बहुत ही रस होता हे। 

नवम भाव : ऐसे जातक न्याय  में मानने वाला ,और कायदे का पालन करनेवाला  होता हे ,धर्म, गुरु, और वडिलो का बहुत ही आदर सत्कार करनेवाला होता हे।  ऐसा जातक बहुत देर से और बड़ी उम्र में खुद का अभ्यास पूर्ण करते हे।  उनके मित्र भी बहुत होते हे।  अगर शनि इस स्थान में बलवान हो तो जातक को सफलता और नामना दिलवाता हे।  जातक मुश्केलियो का  सामना करके बहुत ही प्रसिद्धि पाता हे। 

दशम भाव : शनि के लिए ये स्थान बहुत ही अच्छा हे , शनि को अच्छी स्तिथि जातक को सफल व्यायसायिक बनाते हे , ऐसा जातक सरकारी संस्था के साथ जुड़ा हुआ होता हे।  शादी में विलम्ब और माता के साथ मतभेद का सामना करना पड़ता हे।  सामाजिक तरीके से वो शिस्तबद्ध और सिद्धांतवादी होते हे। ऐसा जातक बहुत कड़ी महेनत और संघर्ष से सफलता पाता हे। 

एकादश भाव : इस स्थान में शनि बहुत लाभकर्ता होता हे , ऐसे जातक को शनि अच्छी मिलकत, प्रतिष्ठा, और मान सम्मान देता हे ,अगर उससे उल्टा शनि निर्बल हो तो ये सभी चीजों से वंचित रखता हे , ऐसे जातक का आयुष्य लम्बा होता हे , खुद के संतान से उनको संतोष होता हे ,  लेकिन कभी कभी वो शिस्त के आग्रही होते हे।  उनका मित्रवृंद बहुत ही अच्छा होता हे। 

बारवा भाव : किसी की भी कुंडली में शनि का इस स्थान में  होना अच्छी स्तिथि नहीं हे ,ऐसा जातक बहुत ही मानसिक अषांति और हताशा का भोग बनता हे ,लेकिन ऐसे व्यक्ति विदेश से अच्छा धन कमा लेते हे।  शत्रुओ पर विजय पाते हे , शनि की अच्छी स्तिथि व्यक्ति को मल्टीनेशनल कम्पनी के अच्छा होद्दा और विदेश के साथ अच्छे व्यवसाय के मोके देता हे ,सरकारी डिपार्टमेंट और अध्यात्म के क्षेत्र में अच्छी सफलता दिलाता हे।

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