शनि साढ़ेसाती 2020 : पनोती : कब शुरू होगी कब ख़तम ?

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शनि साढ़ेसाती 2020 : पनोती : कब शुरू होगी कब ख़तम ?

शनि की गोचर भ्रमण की तारीखे


24 जनवरी 2020 - मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
29 अप्रैल 2022 - कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे। 

12 जुलाई, 2022  - मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
17  जनवरी, 2023  - कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे।


शनि वक्री और मार्गी कब होगा उनकी तारीख।

11 मई, 2020 - वक्री ,  29 सितंबर, 2020 - मार्गी

23 मई, 2021 - वक्री ,  11 अक्टूबर, 2021 - मार्गी
5 जून, 2022  - वक्री ,  23 अक्टूबर, 2022 - मार्गी

मकर राशि में शनि की कक्षा पूरे देश-दुनिया और व्यक्तिगत रूप से एक महत्वपूर्ण फल वाहक साबित हो सकती है। मकर शनि की स्वराशि है और स्वराशि में ग्रह का गोचर इसे पूर्ण फल देने में सक्षम बनाती है। शनि कड़ी मेहनत, जिम्मेदारी, धैर्य, धीरज, गंभीरता, एकाग्रता, आध्यात्मिकता, दर्शन, ध्यान, योग और चिंतन का सूचक है। शनि का मकर में गोचर इन गुणों का पूर्ण उपयोग करना और जीवन में प्रगति करना संभव बनाती है। शनि एक ऐसा ग्रह है जो सपनों को साकार करता है। अन्य ग्रह सपने और इच्छाएं दे सकते हैं, जबकि शनि एकमात्र ग्रह है जो सपने और इच्छाओं को एक वास्तविकता बना सकता है। शनि के सकारात्मक फल की प्राप्ति के लिए एक ही शरत हे कठिन । यदि कोई व्यक्ति शनि के स्वराशि मकर राशि की परिक्रमा के दौरान आलस्य त्याग कर कड़ी मेहनत करता है, तो शनि महाराज उस कठिन परिश्रम का फल देकर अपनी कृपा दिखाते हैं। शनि या शनि के पनोती  से डरने की कोई जरूरत नहीं है। यदि जीवन में शनि की कड़ी मेहनत, धैर्य आदि जैसे गुणों को अपनाया जाता है, तो संघर्ष और भय समाप्त हो जाता है। मकर राशि में शनि का गोचर पूरे देश और दुनिया में लोकतंत्र को बढ़ावा देती रहेगी।

चर राशियों / जन्म मेष, कर्क, तुला और मकर राशि के लिए पांच महापुरुषों के बीच शश महापुरुष योग का निर्माण होगा। इस योग के कारण इन लोगों को कई शुभ अवसर और सकारात्मक फल मिल सकते हैं। जिस भाव पर शनि बैठता है उस भाव की वृद्धि करता हे , लेकिन जिस भाव पर दृष्टि करता हे , उस भाव को नष्ट करता हे।  मन के कारक चंद्र से बारवे, पहले, और दूसरे भाव में शनि का भ्रमण मन को विचलित कर सकता हे। गोचर में चंद्र से तीसरे , छठे , और ग्यारवे भाव पर शनि का भ्रमण शुभ रहता हे।  शुक्र की राशि के लग्न  वृषभ और तुला राशि के लिए शनि योगकारक और अत्यंत शुभ होता है। शनि की साढ़े सात साल की इस परिक्रमा को साढ़ेसाती  पनोती के नाम से जाना जाता है। चंद्रमा से चौथे और आठवें भाव में शनि के गोचर भ्रमण को छोटी पनोटी के नाम से जाना जाता है। ईमानदार और सत्यवादी लोगों के लिए शनि की दशा या गोचर या पनोती आमतौर पर कम कठिन होती है।


शनि देव मंत्र : ॐ शं शनेश्चवराय नमः।

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