शुक्र का बार भाव मे फल : ज्योतिष की नजर से

शुक्र का बार भाव मे फल : ज्योतिष की नजर से


शुक्र का बार भाव मे फल : ज्योतिष की नजर से


प्रथम भाव : जब शुक्र प्रथम स्थान यानि की  विवाह स्थान पर स्थित होता है, तो जातक सुंदर आंखो वाला, सुंदर चेहरे वाला, दीर्घायुषी , डरपोक , स्त्री को अच्छा लगने वाला होता हे ।

दूसरा भाव : जब शुक्र दूसरे भाव में स्थित होता है, तो जातक के पास अटूट धन, खाद्य और पेय से संपन्न होता है।  वह है जो सबसे अच्छा आनंद लेता है, जो सुंदर बाते करता है और बहुत अमीर होता है।

तृतीय भाव : यदि कुंडली में शुक्र तीसरे भाव में है, तो जातक सुखी, धनवान, स्त्री से पराजित, लोभी, कम उत्साही, भाग्यशाली और अच्छे वस्त्र पहनने वाला होता है।


चतुर्थ भाव : यदि कुंडली में शुक्र चौथे स्थान पर स्थित है, तो जातक भाई, मित्र का उत्तम सुख मिलता हे । जातक सुखी, सुंदर, सुसज्जित होता हे । जातक हमेशा अच्छी तरह से रेहता हे , सुंदर, विनम्र, भाग्यशाली होता है।

पंचम भाव : जब शुक्र पंचमेश में स्थित होता है, तो जातक सुखी, पुत्रों और मित्रों से परिपूर्ण, वासना युक्त, अत्यंत धनवान, अखंड वैभव का आनंद लेने वाला, सचिव या न्यायाधीश होता है।


छ्ठा भाव : जब शुक्र छठे भाव में होता है, तो जातक बुरे कर्म करने वाला । बिना भाग्य वाला। महिलाओं से अधिक शत्रुता रखता वाला और शातिर होने के साथ-साथ अत्यंत दुष्ट भी होता है।

सप्तम भाव : यदि शुक्र सप्तम भाव में हो, तो जातक अति सुंदर स्त्री को पता हे । सुंदर स्त्री से उसका विवाह होता हे । अच्छा भाग्य वाला, उत्तम कार्य से युक्त और भाग्यवान होता हे ।

अष्टम भाव : जब शुक्र अष्टमस्थ में स्थित होता है, तो जातक दीर्घायु होता है, राजा की तरह रहने वाला , विशिष्ट सुखी, धनवान, हर पल संतुष्टि पाने वाला होता है।

नवम भाव : यदि शुक्र नवम भाव में हो तो जातक विद्यमान है, तो जातक का सुडौल शरीर  होता है, धनवान  होता है, उदार स्त्री उसके पास होती है, सुखी होता है, मित्र अच्छे होते है, देवता, अतिथि है और गुरु का भक्त है।


दशम भाव : जब शुक्र दसवें स्थान में स्थित होता है, तो जातक धनवान, मिलनसार, सुखी, धनवान, यशस्वी, माननीय होता है और अच्छा यौन सुख प्राप्त करता है, बहुत बुद्धिमान और प्रसिद्ध होता है।

एकादश भाव : जब एकादश भाव में शुक्र उपस्थित होता है, तो जातक आज्ञाकारी सेवकों का सुख भोगता है, अत्यंत लाभकारी होने के साथ-साथ सभी दुखों से भी मुक्त होता है।

बारहवाँ भाव : जब शुक्र बारहवें स्थान में स्थित होता है, तो जातक आलसी, सुखी, मोटा शरीर वाला होता है, साफ-सुथरा होता है, साफ-सुथरा भोजन करता है, बिस्तर आदि को ठीक करने में कुशल होता है और स्त्री से पराजित होता है।

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