सूर्य देव का 12 भाव मे फल - Surya dev 2021.

सूर्य देव का 12 भाव मे फल




सूर्य देव का 12 भाव मे फल


पहला भाव: जन्म कुंडली में सूर्य प्रथम स्थान / लग्न स्थान में जन्म लेने वाले व्यक्ति के सिर पर कम बाल दर्शाता है। स्वभाव से आलसी, क्रोधी, प्रसिद्ध व्यक्ति, सम्माननीय और गरिमामय, निर्धन दृष्टि, मोटे शरीर वाला, साहसी, जल्दबाजी और असभ्य होता हे ।

यदि विवाह के स्थान पर कर्क राशि में सूर्य हो, बड़ी आंखों वाला व्यक्ति, यदि मेष राशि में सूर्य हो, कमजोर दृष्टि हो, सिंह राशि में सूर्य हो, अंधापन हो  Surya dev in 12 bhaav और तुला राशि में सूर्य हो तो जातक दरिद्रता से ग्रस्त होता है और बच्चों को खो देता है।

दूसरा भाव: यदि सूर्य दूसरे भाव में स्थित हो, तो जातक नौकर, गाय, भैंस, बैलों आदि का सुख प्रपट करता हे और अच्छी तरह भोगता हे ।  
सूर्य सभी 12 भाव में क्या फल देते हैं मुख रोग से पीड़ित, सुख और धन से वंचित, राजा के प्रकोप के कारण या चोर के कारण धन की हानि होती हे । सूर्य दूसरे भाव मे अच्छा परिणाम नहीं देता ।

तृतीय भाव: तृतीय भाव में सूर्य जातक को वीर और बलवान बनाता है। भाई-बहनों का खो देता हे । लोगों से प्यार करना, सुंदर दिखना, साथ ही दुश्मनों पर विजय पाना सीखा देता हे ।

चौथा भाव: जब सूर्य चौथे भाव में स्थित होता है, तो जातक वाहन और रिश्तेदारों के सुख से वंचित रहता है। हृदय रोग से पीड़ित होता हे , पैतृक घर और संपत्ति को नष्ट कर देता है और साथ ही अयोग्य राजा की सेवा भी करता है।

पंचम भाव: यदि पंचमेश में सूर्य स्थित हो, तो जातक सुख, पुत्र और धन से वंचित होता है। खेती से आजीविका चलाता हे । पहाड़ों और जंगलों में घूमता रेहता हे , चंचल दिमाग, बुद्धिमान, शक्तिहीन और अल्पयायु होता हे ।


छठा भाव: यदि सूर्य छठे भाव में स्थित है, तो जातक बहुत कामी होता है,  उसमे काम वासना बहुत ही होती हे । ऐसे जातक की जठराग्नि बहुत ही तेज होती हे अर्थात अधिक पाचन शक्ति होती है, बलवान होता है, शुभ होता है, अपने गुणों के लिए प्रसिद्ध होता है, राजा या न्यायाधीश होता है।

सातवां भाव: जब सूर्य सातवें भाव में स्थित होता है, तो जातक शारीरिक बीमारियों से पीड़ित, दरिद्र, अपमानित होता है। राजा के क्रोध और बंधन से पीड़ित, गलत मार्ग पर चलने वाला और अपनी पत्नी से दुश्मनी करता है।

अष्टम भाव: यदि सूर्य अष्टम भाव में स्थित है, तो वह व्यक्ति की आंखे खराब होती हे , उनकी आंखो का देखाव ठीक नहीं होता , अल्पायु और रिश्तेदारों से अलग होने से पीड़ित होता है।


नवम भाव: जब सूर्य नौवें भाव में स्थित होता है, तो जातक को धन, संतान और मित्रों का सुख होता है। पिता और पत्नी से शत्रुता होती हे , देवताओं और ब्राह्मणों की पूजा के लिए भक्त बना रहता हे , ऐसा जातक बेचैन रहता हैं।

दशम भाव: दशम भाव में सूर्य व्यक्ति को बहुत बुद्धिमान, धनवान और बलवान बनाता है। ऐसे जातक को वाहन, रिश्तेदार, और पुत्र का सुख अच्छी तरह मिलता हे , खुद के आरंभ किए गए कर्मो पर वो सफलता पाता हे , ऐसा जातक वीर, अजेय , उत्तम होता हे । Surya in 12th house in hindi. 


एकादश भाव: जब सूर्य लाभ स्थान में स्थित होता है, तो जातक धन संचय करने में बहुत रुचि रखता है। दूसरों के प्रति दृढ़, घृणा करने वाला, सेवक की खुशी से वंचित, स्वयंसेवक, अपने काम में असफल, विनम्र होता हे ।

बारहवाँ भाव: व्यवस्थान में बेठा सूर्य जातक को रूप और रंग और आकार में विकृत शरीर देता है। एक-आंखों वाले, पतित, दूसरे के कर्मों से अलग, विधवा स्त्री से शादी करनेवाला , पिता के साथ शत्रुता , निर्बल और नीच प्रकृति का होता हे ।

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