मंगल का गोचर फल

चित्र:Mars-MAVEN-Orbiter-20140921.jpg - विकिपीडिया

मंगल का गोचर फल

प्रथम भाव : जन्म राशि से मंगल प्रथम भाव में आने से अर्थात जब चंद्र राशि पर मंगल गोचरवश आता हे , तो कठिनाइयों , भय और पीड़ा होती हे , दुर्जनो को कष्ट मिलता हे , यात्रा में परेशानी एवं दुर्घटना का डर रहता हे ,इस समय में और भी कई उपद्रव् होते हे , नेतृत्व की लालसा बढ़ती हे ,घाव-चोटादि की आशंका रहती हे ,सेहत की परेशानी होती हे , रक्त विकार , ब्लड-प्रेशर, बवासीर तथा आग का भय रहता हे , हथियारों से हानि दर रहता हे , स्त्री अस्वस्थ रहती हे . Astrology in hindi

दूसरा भाव : जब मंगल चंद्र राशि अर्थ जन्म राशि से द्वितीय भ्रमण करता हे ,  लड़ाई , जगड़े का दर रहता हे , धन का नाश होता हे और कार्यो में असफलता  मिलती हे ,राज्य सरकार की और से दण्डित होने का डर रहता हे , दुष्ट मनुष्यो तथा चोरी का दर रहता हे , नेत्र , पीड़ा , पीत , प्रकोप से कष्ट होता हे , व्यक्ति शब्दों का गलत प्रयोग करता हे , तथा कठोर वचन कहता हे .


तृतीया भाव : गोचर मंगल जब तृतीय संचार करता हे तो सुख की प्राप्ति होती हे , सरकार तथा सरकार के अधिकारियों की और से सहायता मिलती हे , साहस बढ़ता हे , और शत्रु पराजित होते हे , तर्क शक्ति बढ़ती हे और धन में वृद्धि होती हे , धातुओं में धन मिलता हे , व्यक्तिक प्रभाव में वृद्धि होती हे , आर्थिक स्तिथि बेहतर होती हे , मनचाही वास्तु की प्राप्ति होती हे , बच्चो की और से प्रसन्नता होती हे , स्वास्थय अच्छा रहता हे.


चतुर्थ भाव : गोचरवश मंगल जब जन्म राशि से चतुर्थ भाव से संचार करता हे तो शत्रु का भय रहता हे , शत्रुओ की वृद्धि और स्वजनों का विरोध होता हे , जनता एवं सर्वसाधारण से भी विरोध का सामना  करना पड़ता हे , धन एवं वस्तुओ की कमी आ जाती हे , जमीन , जायदाद की समस्याए पैदा होती हे , गृह एवं घरेलु जीवन का सुख कम मिलता हे ,मन अशांत रहता हे , गृह में अशांति का वातावरण बनता हे , मान-सम्मान में कमी आती हे , सेहत की परेशानी होती हे , रक्त, जवर , पाचन , प्रणाली ,से सम्बध्धित रोग कष्ट देते हे .Hindi astrology


पंचम भाव : जन्म कालीन चंद्र राशि अर्थात जन्म राशि से जब मंगल पंचम भाव में संचार करता हे , तो धन नाश होता हे ,संतान बीमार रहती हे , और संतान को कष्ट भोगना पड़ता हे ,मन पाप कर्मो की और अधिक प्रवृति होता हे ,मान-सम्मान , गौरव ,प्रताप को धक्का लगता हे ,शत्रुओ से डर रहता हे ,और शत्रु कष्ट देते हे ,मन अशांत रहता हे और पेट , ह्रदय , में पीड़ा होती हे .शनि का गोचर फल


षष्ठ भाव : गोचर मंगल जब जन्म राशि से छठे भाव में भ्रमण करता हे , तो दौड़-धुप लगी रहती हे , कई संकटो से छुटकारा मिलता हे ,आर्थिक पक्ष से ख़ुशी मिलती हे ,धन आदि की प्राप्ति होती हे ,विरोधियो शत्रुओ का नाश होता हे ,सर्व कामो में सफलता मिलती हे ,वैयक्तिक प्रभाव में वृद्धि होती हे , छोटे भाई से लाभ होता हे , स्वास्थय में सुधार होता हे , यदि षष्ठ भाव में मंगल नीच राशि में हो तो ख़राब स्वास्थय बना रहता हे , ऑपरेशन तक होने की सम्भावना रहती हे , यदि  राशि का होगा तो स्वास्थय में सुधाय आएगा , और स्वास्थय अच्छा रहेगा .


सप्तम भाव् : जब मंगल गोचरवश सप्तम में आता हे पत्नी से कलह होती हे , स्त्री की कुंडली में यदि मंगल सप्तम में आता हे तो पति से कलह होती हे , स्त्री अर्थात पत्नी का स्वास्थय भी ठीक नहीं रहता हे , भाइयो से विवाद होता हे और परेशानी मिलती हे , घरेलु जगडे उभर कर सामने आते हे , और अशांति का माहौल रहता हे , यात्रा में दुखः और निराशा मिलती हे , स्वजनों को मानसिक तथा शारीरिक कष्ट होता हे , पेट एवं नेत्र विकार से पीड़ा होती हे .


अष्ठम भाव : गोचरवश मंगल जब जन्म राशि से अष्ठम भाव में भ्रमण करता हे दुर्घटना ,घाव , चोटादि , का भय रहता हे , भाइयो से अनबन रहती हे ,और पाप में प्रवृति अधिक रहती हे ,शत्रुओ का डर रहता हे , धन और मान - सम्मान का नाश होता हे ,कार्य की हानि होती हे ,और परदेश वाश होता हे ,पुरुषार्थ निष्फल जाता हे ,जुआ आदि व्यसन घेरे रहते हे , रोगो से पीड़ा होती हे ,नेत्र रोग , गुदा के रोग , और जवर से परेशानी होती हे , असुखद समय होता हे , चौकसी लाभकारी रहती हे.


नवम भाव : जन्म राशि से जब मंगल गोचरवश नवम भाव में आता तो रोग और पराजय का भय रहता हे , व्यक्ति शत्रुओ से पराजित रहता हे , धर्म के विरुद्ध आचरण करता हे ,और भाइयो से कष्ट होता हे , रोजगार में रुकावट बनती हे , किस्मत का उल्ट-फेर होने से धनाभाव का कष्ट उठाना पड़ता हे ,व्यक्ति को अनादर का सामना करना पड़ता हे ,असुख का वातावरण बनता हे बुजुर्गो की और से निराशा मिलती हे , यात्रा में हानि, बाधा आती हे , स्वास्थय पक्ष निराशा देता हे , शरीर में निर्बलता , ऑपरेशन या ऑपरेशन के बिगड़ने का दर बना रहता हे , अनुभव से देखा गया हे , यहाँ मंगल डॉक्टरों के लिए सुबह रहता हे .


दशम भाव : जन्म राशि से जब मंगल गोचरवश दशम भाव में संचार करता हे तो कार्यो में असफलता और विध्न पड़ते हे , अधिक परिश्रम करने पर भी निराशा मिलती हे , किसी कार्यवश घर से बाहर रहना पड़ता हे , रोजगार में विध्न,बाधाएं आती हे ,चोरो का भ्र्म रहता हे ,मांनसिक परेशानी होती हे , मान-सम्मान को उतावलेपन , क्रोध आदि करने से ठेश पहुंचने की आशंका रहती हे , किसी चालाक स्त्री से हानि , धोखा एवं परेशानी होती हे , यदि मंगल मूल कुंडली एवम गोचर में सी भाव में शुभ हो तो उन्नति होती हे और दब-दबा बना रहता हे , प्रभाव पढता हे.


एकादश भाव : गोचरवश मंगल जब एकादश भाव में आता हे तो ख़ुशी और धन लाभ लाता हे , जमीन-जायदाद से लाभ होता हे ,आय में आशातीत वृद्धि होती हे , प्लाट , किराए की आय में वृद्धि होती हे , भाइयो में वृद्धि  होती हे ,और भाईओ का सुख मिलता हे ,कार्यो में लाभ सफलता होती हे , भाई लाभ देते हे , धन-संपन्ति की प्राप्ति होती हे , स्वास्थय अच्छा रहता हे , और भय जाता रहता हे .


द्वादश भाव : जब जन्म राशि से मंगल द्वादश भाव में संचार करता हे तो व्यय की अधिकता से परेशानी रहती हे , पत्नी की और से निराशा मिलती हे और विवाद , जगडा होता हे ,अचानक खर्चा झेलना पड़ता हे , स्त्री को भी कष्ट होता हे , भाइयो से अनबन रहती हे और मानहानि होती हे , घर से बाहर रहना पड़ता हे , संतान , पुत्रो को कष्ट प्राप्त होता हे , स्वास्थय पक्ष से परेशानी मिलती हे , ब्लड-प्रेशर और नेत्र रोग की आशंका रहती हे , मन दुखी रहता हे , और वातावरण उलझाव पूर्ण रहता हे .

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