सूर्य का गोचर फल : भाव 1 to 12

सूर्य का गोचर फल : भाव 1 to 12


सूर्य का गोचर फल : भाव 1 to 12 

प्रथम भाव : जब सूर्य जन्म राशि पर अर्थात प्रथम भाव पर गोचर करता हे हे तो परिश्रम अधिक करना पड़ता हे , प्रत्येक कार्य विलम्ब से होते हे , धन नाश होता हे ,  और मान सम्मान में  कमी आती हे।  व्यर्थ की यात्रा करनी पड़ती हे , बिना किसी उदेशय के इधर उधर घूमना पड़ता हे , मन चित उदास रहता हे , स्वास्थय अच्छा नहीं रहता और उदर विकार, नेत्र व ज्योति का कष्ट , ह्रदय रोग ,रक्त विकार एवं ,थकावट की सम्भावना रहती हे , मानसिक एव सज्जनो से मन मुटाव , वैचारिक मतभेद हो जाता हे , आत्मबल द्वारा सफलता मिल सकती हे। 


दूसरा भाव : जन्म राशि में गोचरवश सूर्य जब दूसरे भाव में संचार करता हे तो धन हानि होती हे , लोग उसको धोखा देकर उसके काम निकालते हे , दुष्ट और बुरे लोगो से मुलाकात होती हे ,आर्थिक गड़बड़ी का सामना करना पड़ता हे , किसी से धोखा मिलने की आशंका रहती हे , दर , भय और चिंता लगी रहती हे , व्यापर और धन सम्पन्ति की हानि का डर रहता हे ,मित्रो ,सज्जनो , सम्बन्धियों ,से विवाद का भय होता हे , कुटुम में हलचल सी बनी रहती हे ,समय परेशानी में व्यतीत होता और सुख नहीं मिलता। 


तृतीय भाव : जन्म राशि से गोचरवश सूर्य जब तृतीय भ्रमण करता हे तो शुभ प्रभाव देता हे , पद की प्राप्ति होती हे ,और राज्य से सहायता मिलती हे , मित्रो , सज्जनों स्नेहियों एवं भाइयो  उच्चाधिकारियों से मेल मुलाकात होती और सहायता मिलती हे , व्यक्ति को धन और मान - प्रतिष्ठा प्राप्त होती हे , व्यक्ति का अन्य लोगो से व्यवहार अच्छा होता हे ,पुत्र सुख प्राप्त होता हे ,शत्रुओ की  पराजय होती हे ,और रोगो से मुक्ति मिलती हे , भय, कठिनाइया , उलझनों से छुटकारा मिलता हे , साहस बढ़ता हे , और यात्राएं लाभकारी रहती हे , इंटरव्यू , परीक्षा ,प्रतियोगिता में भी सफलता मिलती हे , ख़ुशी एवं प्रसन्नता का माहौल रहता हे।


चतुर्थ भाव : जब सूर्य जन्म राशि से चतुर्थ भाव में भ्रमण करता हे , तो दर एव, भय का वातावरण बनता हे , मान सम्मान में कमी आती हे ,अशांति , कठिनाइया एव जल्झने बढ़ती हे , मानसिक और शारीरिक व्यथा रहती हे , और घरेलु जगडे के कारण परेशानी तथा सुख की कमी आती हे , जमीन, जायदाद , एवं वाहन  समबन्धी,  कई प्रकार की समस्याए घेरा डाल देती हे , अस्वस्थता के कारण मन चित परेशान रहता हे , गृह में सुख सुविधा में कमी आती हे।

पंचम भाव : जन्म राशि में सूर्य का संचार जब पंचम भाव में होता हे तो संतान की चिंता रहती हे , और संतान को रोग उतपन्न होता हे , प्रिय से खिचाव की स्तिथि बन जाती हे , राजयधिकरियो से वाद विवाद बढ़ता हे , यात्रा में परेशानी होती हे , और दुर्घटना का डर रहता हे , धनहानि होती हे , और मन अशांत रहता हे , मन में अजीब हलचल सी रहती हे , शारीरिक और मानसिक शक्ति में कमी अनुभव होती हे , स्वास्थय की परेशानी और विशेषकर पेट में गड़बड़ होती हे , उतावलापन बढ़ता हे , और व्यक्ति शीग्र घबरा जाता हे।

षष्ठ भाव् :  गोचर का सूर्य जब षष्ठ भाव में भ्रमण करता हे , तो कार्य सिद्धि और सुख की प्राप्ति होती हे , मन में ख़ुशी की एक लहर सी अनुभव् होती हे , सरकारी कार्यो में सफलता मिलती हे , और नौकरी द्वारा लालच प्राप्त होता हे ,शत्रु नाश होते हे और शत्रुओ पर विजय प्राप्त होती हे , राजयधिकरियो से लाभ होता हे , मन शांत रहता हे ,और कठिनाइयों , मुश्किलों एवं उलझनों से राहत मिलती हे , अन्न वस्त्र आदि का लाभ होता हे और रोगो का नाश होता हे , निज प्रताप में वृद्धि होती हे , नयी नियुक्ति हो सकती हे। 

सप्तम भाव : जन्म राशि से सूर्य जब गोचर में सप्तम भाव में भ्रमण करता हे , तो घरेलु कलह होती हे , दाम्पत्य जीवन में वैमनस्य की उत्पति होती हे , स्त्री ,पत्नी , और पुत्र अस्वस्थ रहते हे , व्यक्ति थकावट अनुभव करता हे , और मन - चित उदास रहता हे ,व्यवसाय में बाधाएं उत्पन्न होती हे , और कार्यो में असफलता मिलती हे ,यात्रा कष्टकारी रहती हे , धन और मान हानि के काऱण व्यक्ति परेशान  होता हे , सेहत अच्छी नहीं रहती और विरोधी परेशान करते हे। 

अष्टम भाव : गोचरवश सूर्य जब आठवे भाव में आता हे तो अधिकारी वर्ग से भय रहता हे , जुरमाना ,मुकदमा आदि का डर रहता हे , अशुभ समाचार मिलते हे , अरु अशुभ घटनाये होती हे , अपमान का विशेष डर रहता हे ,शत्रुओ से जगडा होता हे , दोस्तों मित्रो से विवाद होता हे , स्वास्थय बिगड़ जाता हे , शरीर में पीड़ा रहती हे ,और अपच  , बवासीर रोग आदि उत्पन्न होते हे , ज्वर , ब्लड़प्रेसर से परेशानी होती हे , पत्नी को भी कष्ट होता हे और विशेषकर गला ,कंठ प्रभावित होता हे ,खर्चा बढ़ जाता हे ,और चोटादि का भय रहता हे। 

नवम भाव : गोचरवश सूर्य जब नवम भाव में आता हे , तो घर से बहार रहना पड़ता हे , बड़ो , मित्रो , भाइयोसे विरोध होता हे , अपमान का डर रहता हे , निराशा हाथ लगती हे , आय की कमी , बिना कारन धन हानि , कांति का क्षय , झूठा आरोप लगता हे ,अपने प्रिय लोगो से विरह होती हे , असफलता मिलने के कारण व्यक्ति दिन बन जाता हे।  शारीरिक कष्ट , घाव , चोट अदि की आशंका रहती हे , रोग एवं अशांति उत्पन्न होती हे। 

दशम भाव : जन्म राशि में गोचर वश सूर्य जब दशम भाव में भ्रमण करता हे , तो सर्वपक्षीय विकास होता हे , सरकार एवं सज्जनो द्वारा लाभ होता हे , प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती हे और प्रसन्नता का अनुभव होता हे ,राजयधिकारियो और प्रतिष्ठित लोगो से मित्रता बढ़ती हे ,और लाभ होता हे , पदोन्ति का सुअवसर प्राप्त होता हे , मान सम्मान , यश ,गौरव  में वृद्धि होती हे , धन लाभ होता हे ,और स्वास्थय अच्छा रहता हे , मित्रो का सुख एवं सहायता प्राप्त होती हे , कार्य स्थान में दब दबा बढ़ता हे , सुख की प्राप्ति होती हे। 

एकादश भाव : जन्म राशि से जब सूर्य एकादश भाव में संचार करता हे तो धन लाभ होता हे ,और मनोकामना पूरी होती हे , हर प्रकार का लाभ मिलता हे ,राज्य की और से कृपा की प्राप्ति होती हे , पदोन्ति का अवसर मिलता हे , बड़ो एवं पिता से लाभ एवं पुत्र सुख मिलता हे , आध्यातिमिक एवं मांगलिक कार्य होते हे ,और बड़ो के अनुग्रह की प्राप्ति होती हे ,मान सम्मान मिलता हे और रोगो से मुक्ति मिलती हे , स्वास्थय अच्छा बना रहता हे।  सात्विकता बनी रहती हे , प्रगति ,विकास होता हे ,और नविन पद प्राप्त होता हे। 

द्वादश भाव : सूर्य गोचरवश जब द्वादश भाव में आता हे , तो कलेश , धन की बर्बादी साथ लाता हे ,दोस्त भी दुश्मनी करने लगते हे।  व्यव अधिक होता हे ,और कई तरह की कठिनाईओ झेलनी पड़ती हे , राज्य भय और राज्य की और से विरोध होता हे , अपमान का डर रहता हे , दूर देश का भ्रमण होता हे ,तथा कार्य एवं पद की हानि होती हे।  मानसिकता चिंता बनी रहती हे , व्यक्ति अस्वस्थ हो जाता हे , पेट, आँखों का कष्ट होता हे , ज्वर अदि रोग उत्पन्न होत्ते हे ,जगड़े , विवाद से मन दुखी होता हे।  

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