मिथुन राशि : ज्योतिष की नजर से - वैदिक ज्योतिष

Ganesha,golden,ornament,detail,close - free image from needpix.com
वैदिक ज्योतिष

मिथुन राशि : ज्योतिष की नजर से


मिथुन राशि का राशिचक्र मे क्रमांक तीन हे । मिथुन राशि की आकृति पुरुष स्त्री, पुरुष गदा लिए और स्त्री विना लिए हुये हे । मिथुन राशि पश्चिम दिशा की स्वामी , द्विपद , द्विस्वभाव , विश्भोद्य , उष्ण प्रकृति ,ग्रामवासी, वायु प्रकृति , हरित वर्ण ,वन मे विचरणशील ,शूद्र जाती एवं क्रूर हे । इसका स्वामी बुध हे । अत: राशि स्वामी बुध पुष्ट शरीर , असपष्ट भाषी, पित , कफ एवं वायु प्रकृति एवं अति हसमुख हे । राहू इस राशि मे उच्च फल का और केतू नीच फल का माना गया हे । भागयेश शनि , लाभेष मंगल , एवं धनेश चन्द्र हे ।

इस राशि के जातक का कद लंबा परंतु साधारणतया कद छोटा भी देखा गया हे । शरीर संतुलित होता हे । तथा साधारणतया बाहे शरीर के अनुपातसार लंबी होती हे । इसके प्रभाव से रंग न अधिक गोरा और न ही काला, इसके प्रभाव से चेहरा गोल एवं नाक आगे से कई बार तोते जेसी होती हे । आंखे छोटी परंतु दिख व दृष्टि तिक्षण होती हे । जल्दी जल्दी चलना इनका स्वभाव होता हे । बाल घने काले होते हे तथा कान कुछ छोटे ही होते हे परंतु आकर्षक होते हे । इस राशि का धान्य रुई , कपास तथा शरद के धान्य व जंगली फल आदि माने गए हे ।

मिथुन राशि के जातक विध्या प्रेमी , अध्ययनशील , न्यायिक , बुद्धि संगीत प्रिय , शायर , कविता लिखने आदि के प्रेमी होते हे । ये बुद्धिमान , ज्ञानी , बलवान तथा दूसरों के साथ काम करने वाले होते हे । इनमे विश्लेषण करने की पूरी सामर्थय होती हे । यह बड़े ही प्रतिभाशाली , फुर्तीले , चतुर, राजनीतिज्ञ , व्यापारी , बहुत अच्छे वक्ता ,विनम , विनोदी ,व्यंग करने व लिखने वाले होते हे । ये समाज की और से सम्मानित भी होते हे । ये मस्तिष्क पर अधिक बोज डालते हे और दिमागी चिंता के कारण बेचें रहते हे । ये प्रत्येक वस्तु , व्यक्ति को शंका की दृष्टि से देखते हे ।

इस राशि की महिलाए प्राय: चतुर , कार्यदक्ष होती हे । वे अत्याधिक परिश्रमी होती हे । ये काम क्रीडा की शोकीन व कुछ क्रोधी भी होती हे । इनके जीवन मे उतार चढ़ाव आते रहते हे । परंतु वह जीवन मे सुख चैन चाहती हे । ये सदेव साथ निभानेवाली होती हे । श्रेस्ठ मित्रता को पसंद करती हे । घरेलू वातावरण मे जमा पूंजी के प्रति लापरवाह , स्वतंत्र भाव से रहकर अधिक खर्च करने की अभ्यस्त होती हे । इनका अधिकतर जीवन अंतर्मुखी होता हे । नियमित शमन, अच्छा भोजन , और मीठे पदार्थो मे इनकी खाश रुचि होती हे । इनके संपर्क मे अनायास ही आने वाले हर किसी स्त्री पुरुष की श्रेष्ठता और सफलता बढ़ जाती हे । यह परिवार और समाज को भी नयी दिशा देने की क्षमता रखती हे ।

मिथुन राशि की कनयाए जब तक अविवाहित होती हे , तब तक विध्या , बुद्धि प्रतिभा के उपयोग से वैदिक साहित्य,  क्ला , विज्ञान , या जन संपर्क के किसी भी क्षेत्र मे महत्वाकांशा को साकार कर सकती हे । ये लोकप्रियता एवं प्रसिद्धि के सिखर पर पाहुच जाती हे । मिथुन राशि की महिलाए दूसरों का बहुता हस्तक्षेप एवं कटोकती जरा भी पसंद नहीं करती । यह प्रेम को बहुत महत्व देती हे । आप द्रध निश्चयी और स्वाभिमानी तो होती हे परंतु सहहृदय एवं भावुक भी होती हे । अत : ये सवेन्दनशील कही जा सकती हे । ये कम्प्युटर एवं अन्य यान्त्रिकी गणित पद्धति मे आसानी से निपुणता प्राप्त कर सकती हे ।

आर्थिक परिस्थिति एवं व्यसाय : मिथुन राशि वालो की आर्थिक परिसतिथी परिवर्तनशील रहती हे । आय के स्तोत्र भी एक से प्राय: अधिक ही होते हे । ये एक कार्य पर तिक कर कार्य नहीं करते और कार्यो मे बदलाव करते रहते हे । कई बार इसी कारण यह असफल भी रहते हे । एक समय दो दो कार्य करना इनका सौक बन जाता हे । कई हालातो मे इनको ससुराल एवं पड़ोसियो के साथ संबंधो को लेकर हानी भी होती हे ।

मिथुन राशि के जातक व्यापारी, लेखांकर ,मुंशी , वैज्ञानिक , एजेंट , प्रतिनिधि , संपादक , वकील, साहित्य , सावंददाता , अध्यापक , प्रोफेसर , अन्वेषक अभिनेता ,प्रवक्ता , नेता, समाज सेवक ,कंपनी प्रबन्धक ,दलाल, शेर ब्रोकर , ट्रांसपोर्ट कर्मचारी , ठेकेदार , इंजीनियर , कलाकार, फॉटोग्राफर , आदि मे सफल होते हे ।

भाग्य खुलने के वर्ष : मिथुन राशि के जातको का भाग्य प्राय : 32 वे या 34 वे वर्ष मे खुलता हे । यह भाग्य खुलने के विशेष वर्ष हे । परंतु 21 वे वर्ष मे भाग्य खुलने की प्रबल आशा होती हे । चारो और से सहयोग , विध्या की सफलता, मकान मोटर का सुख मिलता 21 वे वर्ष मे आरंभ होगा । मान - सम्मान , धन दौलत का लाभ , देश विदेश की यात्राये , 21 वर्ष के पश्चात 33 से 46 वर्ष तक का समय एक सुनहरा चान्स देगा ।

शुभ रत्न : मिथुन राशि का शुभ रत्ना पन्ना व धातु सोना हे । अत: भाग्योंती के लिए सवा पाँच रति पन्ना बुधवार प्रात: सोना या चाँदी की अंगूठी मे दाहिने हाथ की कनिस्ठ्ठा या अनामिका मे धारण करे ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ