चन्द्र का गोचर फल : 1 to 12 भाव - हिन्दी ज्योतिष

चन्द्र का गोचर फल : 1 to 12 भाव - हिन्दी ज्योतिष


चन्द्र का गोचर फल : 1 to 12 भाव :


प्रथम भाव : जब गोचर का चंद्रमा जन्म राशि अर्थात चन्द्र राशि पर संचार करता हे अर्थात पहले स्थान पर होता हे , तो शुभ फल देता हे , व्यक्ति को सुख और आनंद प्राप्त होता हे , धन की प्राप्ति होती हे , किसी पार्टी , क़ल्ब , तथा किसी सोसाइटी मे लाभ होता हे , प्रेम प्यार एवं रात को सुख मिलता हे , अच्छे वस्त्र और उतम भोजन की इछ पूर्ण होती हे , यात्रा से लाभ एव सुख होता हे , भाग्योदय का समय होता हे ।

द्वितीय भाव : तरक्की , उन्नति , सफलता मे बाधा तथा कार्य मे भी अड़चने और विलंब होता हे , उल्टे कार्यो मे मन लगता हे , धन की हानी हो सकती हे , और विध्या का असंतोषजनक नतीजा मिल सकता हे , यहा चंद्रमा मानसिक असंतोष देता हे ,तथा परिवार वालो से कलह हो सकती हे , अच्छा भोजन और सुख प्राप्त नहीं होता , धन एवं मान सम्मान मे कुछ कमी हो सकती हे , दिया गया उधार मिलने की कम ही उम्मीद होती हे ,

तृतीय भाव : द्रव्य और सुख प्राप्त होता हे , स्वास्थय और मन प्रसन्न रहता हे , आर्थिक उन्नति होती हे , और पत्नी से लाभ एवं प्यार मिलता हे , बंधुजनों से लाभ रहता हे , और भाग्य मे वृद्धि होती हे , छोटी यात्रा होती हे ,और लाभकारी होती हे , पत्र व्यवहार लाभ देता हे , और कोई शुभ समाचार मिलता हे ,  अकस्मात प्रेमिका से मिलन होता हे तथा सुख मिलता हे , शत्रुओ पर विजय प्राप्त होती हे ।

चतुर्थ भाव : इन दिनो कुछ कस्ट सहन करना पड़ता हे , और शत्रुओ का दर रहता हे , स्वजनो मे विवाद ,जघड़ा व मन मुटाव होता हे , जल तथा महिलाओ से परेशानी का दर रहता हे , स्त्री सुख मे कमी आती हे ,और जनता से भी अपमान का दर रहता हे , पिछला प्रॉपर्टि का विवाद परेशान कर सकता हे , मानसिक परेशानी होती हे ,और घर सुख कम होता हे , चित्रा मे चंचलता रहती हे , नींद मे बाधाए और छाती मे विकार उतपन्न होता हे , धन नाश और भय लगा रहता हे , प्रत्येक व्यक्ति एवं वस्तु को संदेह देखता हे ।

पंचम भाव : गोचर का चन्द्रमा पंचम भाव में आने पर शोक का वातावरण बन सकता हे , यात्रा में कष्ट होता हे , और यहाँ तक की दुर्घटना भी हो सकती हे , कार्यो में सफलता नहीं मिलती , यश, मान सम्मान में कमी आती हे , मन में अशांति रहती हे , बच्चो के सम्बन्ध में शिकायते मिलती हे , किस को प्यार में निराश पड़ना पड़ता हे , कामुकता में वृद्धि होती हे ,और प्यार करने को जी चाहता हे , मंत्र या शक्ति का ह्रास होता हे , पेट के विकार परेशान करते हे। 
 
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षष्ठ भाव : गोचर का चन्द्रमा षष्ठ में आने से शत्रु नाश होता हे , शत्रुओ की पराजय होती हे , विजय की प्रसन्ता मिलती हे , धन का लाभ होता हे , तथा यश और आनंद की प्राप्ति होती हे , जीवन आनंदमय लगता हे , स्वास्थय अच्छा रहता हे , नौकरी मिलने की संभावना बन जाती हे , अपने गृह में सुखपूर्वक रहने का अवसर प्राप्त होता हे , मुकदमे में जित होती हे , रोगो का नाश होता हे। 

सप्तम भाव : गोचर का चन्द्रमा सातवे आने पर सवारी का सुख मिलता हे , और धन लाभ होता हे , आर्थिक उन्नति होती हे , वाणिज्य व्यवसाय में लाभ होता हे , छोटी यात्राएं होती हे , और यात्रा आनंदायक रहती हे , गृहस्थ का सुख मिलता हे , स्वास्थय ठीक रहता हे , ख्याति प्राप्त होती हे , और पत्नी द्वारा लाभ मिलता हे , कोई अतिथि आता हे जिससे घर का वातावरण बदल जाता हे , किसी घनिस्ट सज्जन से मिलने की संभावना होती हे। 

अष्ठम भाव : गोचरवश चन्द्रमा जब आठवे भाव में संचार करता हे , तो अस्वस्थ्यता का भय रहता हे , श्वाश , अपच , खांसी ,छाती के रोग उत्पन्न होते हे , चोटादि का ड़र होता हे , जगडा विवाद और मानसिक कलेश होता हे , कोई अशुभ सुचना मिलती हे ,अचानक किसी आने वाली विपत्ति का दर होता हे ,कार्यो में कठिनाईया , उलझने और मन में परेशानी रहती हे , धन का नाश होता हे , कार्यो में विलम्ब होता हे , और यहाँ तक की नियत समय पर अच्छा भोजन भी प्राप्त होता हे। 

नवम भाव : नवम भाव में गोचर का चन्द्रमा जब भ्रमण करता हे तो राज्य की और से परेशानी झेलनी पड़ती हे , बदली का और परिवर्तन का ड़र रहता हे , छुट्टी पर जाना पड़ता हे , व्यक्ति का भाग्य उसका साथ नहीं देता हे , मन परेशान रहता हे ,और व्यवसाय में हानि उठानी पड़ती हे , शत्रु परेशान करते हे ,स्वास्थय और पुत्रो के स्वास्थय को भी हानि पहुँचती हे , पेट के विकार परेशान करते हे , संतान से मतभेद हो जाता हे , यात्रा में परेशानी होती हे और विशेषकर लम्बी मात्रा में रूकावट आती हे , मन उदास रहता हे , और शिथिलता बढ़ जाती हे। 

दशम भाव : गोचरवश चन्द्रमा दशम भा में आने से  सभी कार्य सरलता से हो जाते हे , अभीष्ट की सिद्धि होती हे , राज्य की और से धन और सम्मान की प्राप्ति होती हे , कार्य स्थान में दब दबा बढ़ जाता हे , नौकरी में पदोन्ति का अवसर मिलता हे , और अधिकारों में बढ़ोतरी होती हे , उच्चाधिकारी प्रसन रहते हे , सर्व पक्षीय लाभ मिलता हे ,सरकारी तथा अन्य कार्यो में सफलता मिलती हे ,स्वास्थय अच्छा रहता हे , उत्तम गृह सुख की प्राप्ति होती हे। 

एकादश भाव : गोचर का चन्द्रमा जब एकादश भाव में संचार करात हे तो मनोकामना पूरी करता हे ,व्यापर में पर्यापत लाभ होता हे , आय में वृद्धि होती हे ,स्त्री वर्ग से लाभ मिलता हे , प्रेमी प्रेमिका मिलान होता हे ,मन महत्वकांक्षा की और अग्रेसर होता हे ,तरल पदार्थो के व्यापार से आय में वृद्धि होती हे , सुख संवृद्धि होती हे , विजय से प्रसन्ता मिलती हे, कार्यो में सफलता और धन लाभ होता हे , पुत्रादि का सुख मिलता हे , मित्रो , स्नेहियों , रिश्तेदारों से सहायता मिलती हे , मित्रो में ह्रास परिहास और स्त्री सुख में समय व्यतीत होता हे ,

द्वादश भाव : गोचरवश चंद्र द्वादश भाव आने से कष्ट होता हे , घाव , चोटादि ,का भय रहता हे , अस्पताल जाना पड़ता हे ,शारीरिक कष्ट मिलता हे , आँखों के विकार परेशान करते हे , शत्रुओ और विरोधियो का डर लगा रहता हे ,धन और मान की हानि होती हे , संतान  का सहयोग प्राप्त नहीं होता हे ,और इधर उधर बिना किसी मतलब घूमना पड़ता हे , मानसिक चिंताए बढ़ जाती हे , खर्चा बढ़ जाता हे ,और परेशानी होती हे , प्यार में निराशा मिलती हे और पत्नी से मन मुटाव हो जाता हे , रात्रि का अनिद्रा सताता हे। 
 
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