गुरु ग्रह का बार भाव मे फल- Guru grah 2021.

Mercury Transit, 2016 | The Planetary Society

गुरु ग्रह का बार भाव मे फल


प्रथम भाव : यदि जन्मकुंडली में बृहस्पति प्रथम भाव / लग्न स्थान में स्थित है, तो जातक सुंदर, बलवान, दीर्घजीवी, सुंदर और एक ही दृष्टि से काम करने वाला, बहुत विद्वान, धैर्यवान और श्रेष्ठ होता है।

दूसरा भाव : यदि बृहस्पति दूसरे स्थान पर स्थित हो, तो जातक धनी, भोजन में रुचि रखने वाला, श्रेष्ठ वक्ता, सुंदर शरीर, वाणी और मुख वाला, परोपकारी, सुन्दरता के साथ-साथ वैरागी भी होता है।

तृतीय भाव : जब बृहस्पति तीसरे स्थान पर होता है, तो जातक बहुत ही दयनीय, ​​लालची, कंजूस, हमेशा विजयी, भाइयों द्वारा पराजित, मंदाग्नि से पीड़ित, स्त्री और पापी द्वारा पराजित होता है।


चतुर्थ भाव : यदि कुंडली में चौथे भाव में गुरु हो, तो जातक रिश्तेदारों, कपड़ों, आवास, वाहन, सुख, बुद्धि, विभिन्न बलिदानों और धन से संपन्न होता है। दुश्मनों को चोट पहुंचाने के साथ ही उनको दुख भी पहुचाता हे ।

पंचम भाव : यदि कुंडली में पंचमेश में गुरु हो, तो जातक सुख, पुत्र और मित्र से संपन्न होता है। बेहद सुखी , धैर्यवान, ऐश्वर्या में लीन और हर जगह खुश रहता हे ।

Guru grah ke prabhav 

छठा भाव : जब जन्मकुंडली में बृहस्पति छठे भाव में स्थित होता है, तो जातक दूषित पेट वाला , पेट की बीमारी वाला , पीड़ा, दुर्बल, आलसी, स्त्री से पराजित, शत्रुओं को परास्त करने वाला और बहुत प्रसिद्ध होता है।

सप्तम भाव : यदि बृहस्पति सप्तमस्थान में स्थित है, तो जातक सुंदर भाग्यशाली, सुंदर वांछित स्त्री का पति होता है, जिसने अपने पिता से भी ज्यादा ज्ञान प्राप्त किया हो ,  अच्छा वक्ता, कवि, मंत्री हो सकता हे , साथ ही साथ बहुत प्रसिद्ध और ऐश्वर्य सम्पन्न होता हे ।

Guru grah in 2021

अष्टम भाव : जब अष्टमस्थन में गुरु स्थित होता है, तो जातक पीड़ित, दीर्घायु, मजदूरी पर रहने वाला, दास या नौकर, रिश्तेदारों का नौकर, गरीब, गंदी महिलाओ से संबंध रखने वाला और पीड़ित होता है।


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नवम भाव : यदि कुंडली में नौवें भाव में गुरु हो तो जातक देवता के साथ-साथ पिता भी कर्मों में लीन, विधवान , सुंदर, भाग्यशाली, राजा का मंत्री या नेता या मंत्री होता है।

दशम भाव : जब गुरु दशम भाव में स्थित होता है, तो जातक वह होता है जो अपने आरंभ किए गए कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा करता है, सम्मानित होता है, सभी उपायों को जानता है, सरलता से संपन्न होता है, सुख, धन, वाहन और रिश्तेदारों से संपन्न होता है, सफलता का शिकार होता है।

एकादश भाव : यदि एकादश भाव में गुरु हो, तो जातक दीर्घायु, धैर्यवान, कई वाहनों और नौकरों वाला, सज्जन होता है। उसके पास न तो अधिक शिक्षा है और न ही अधिक बेटे हैं।

बारहवाँ भाव : जब बारहवें भाव में गुरु होता है, तो जातक आलसी होता है, दुनिया से घृणा करता है, वाचाल होता है या सर्वत्र सेवा में डूबा हुआ होता है।

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