चंद्रमा का बारह भाव मे फल



चंद्रमा का बारह भाव मे फल





चंद्रमा का बारह भाव मे फल 

 


पहला भाव: जब चंद्रमा पहले घर / विवाह स्थान में कर्क, वृषभ या मेष राशि में हो, तो जातक उदार, सुंदर, धनवान होता है और सभी सुखों का आनंद लेता है। यदि इन तीन राशियों के अलावा अन्य कोई लग्न हो और चंद्र लग्न स्थान में स्थित हो, तो जातक पागल, गूंगा, बहरा, बदसूरत, दुखी, सुस्त और धन का अभाव होता है।


दूसरा भाव: जब चंद्रमा दूसरे भाव में होता है, तो जातक अतुलनीय सुख प्राप्त करता है। वह दोस्तों और धन से भरा हुआ है। यदि दूसरे भाव में पूर्णिमा है, तो जातक बहुत अमीर होने के साथ-साथ कम बातूनी भी होता है।

तृतीयक भाव: यदि चंद्रमा तीसरे भाव में है, तो जातक अपने भाई-बहनों की रक्षा करता है। हमेशा खुश, बहादुर, शिक्षित, कपड़े और भोजन से समृद्ध होता हे ।

चौथा भाव: यदि चन्द्रमा चौथे भाव में स्थित है, तो जातक रिश्तेदार, उपकरण और वाहन से सुसज्जित होता है। वह एक परोपकारी व्यक्ति है, जो पानी से यात्रा करने का शौकीन है और साथ ही खुश भी हे और दुखी भी है। उसे संतुलित सुख और दुःख प्राप्त होता है।

पंचम भाव: जब पंचमेश में चंद्रमा स्थित होता है, तो जातक डरपोक होता है। वो विध्या , वस्त्र , और अन्न को प्राप्त करने वाला ,बहुत पुत्रो वाला, मेघावी और मित्रो से भरपूर होता हे ।

छठा भाव: यदि चंद्रमा छठे भाव में हो, तो जातक पेट की बीमारियों से पीड़ित होता है। यदि वक्री चंद्रमा छठे में हो, तो जातक अल्पायु होता है।


सप्तम भाव: जब चंद्रमा सप्तम भाव स्थित होता है, तो जातक सौम्य, प्रसन्न, सुंदर शरीर वाला, वासना युक्त होता है। यदि चंद्रमा कमजोर है और सातवें स्थान में है, तो जातक गरीब और बीमार होता है।

अष्टम भाव: जब चंद्रमा अष्टम भाव में स्थित होता है, तो जातक बुद्धिमान, उज्ज्वल होता है और बीमारियों से ग्रस्त होता है। यदि चंद्रमा कमजोर है तो अल्पायु होता है।

नौवां भाव: जब चंद्रमा नौवें भाव में स्थित होता है, तो जातक भगवान और पिता के कर्मों के लिए समर्पित होता है। सुख, धन, बुद्धि और पुत्र से सम्पन्न होता हे । स्त्रीओ को आकर्षित करने वाला होता हे ।

दसवाँ भाव: यदि चन्द्रमा दसवें भाव में स्थित हो, तो जातक जहर से मुक्त होता है। वह पवित्र होता हे । वह जो कार्य आरंभ करता हे उसमे सफल होता हे ।  जातक धनी, पवित्र, अत्यंत बलवान, वीर और उदार होता है।
 


ग्यारहवां भाव: जब चंद्रमा लाभ के स्थान पर होता है, तो जातक बहुत धनवान होता है, उसके कई पुत्र होते हैं और दीर्घायु होते हैं। जातक के सेवक बुद्धिमान, तेजस्वी, उग्र और शूरवीर होते हैं।

बारहवां भाव: यदि चंद्र व्यवयसथान मे स्थित है, तो जातक घृणित, अपवित्र, बेईमान होता है और आंखों के रोगों से पीड़ित होता है। वह आलसी, अजीब, और हमेशा अपमानित होता है।

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