
ग्रह और नैसर्गिक कारकत्व , मतलब की कोनसा ग्रह किसके लिए जाना जाता हे?
सूर्य :
आत्मा, पिता, स्वभाव , आत्मबल , लक्ष्मी, राजस्व , प्रताप , आसक्ति , प्रतिष्ठा ,शक्ति आदि क्षेत्रों तथा 1 ,9 ,10 वे भाव के कारक हे.
चन्द्रमा :
मन, माता, बुद्धि ,मस्तिस्क , चित प्रसन्नता , गंध, दृष्टि , सम्पति, ज्योतिष, सुख, शांति , जवाहरात , आदि क्षेत्रों तथे 4 थे भाव का करक हे .
मंगल :
पराक्रम , भ्राता, भगिनी , गुण , धैर्य, साहस, उत्साह, क्रोध , भूमि, पुत्र, अग्नि, राज्य, शक्ति , शत्रु, रोग , सौतेली माँ ,साला, साली आदि क्षेत्रों तथा 3 , 6 ठे भाव का करक हे .
बुध :
वाक्शक्ति , मामा , मौसी , बुद्धि, विवेक ,संतति , बांधव ,समृद्धि, विनय , हास्य , वाणिज्य व्यापर ,ज्योतिष ,गणित , नृत्य , शिल्प, आदि क्षेत्रों तथा 4 , 10 वे भाव का कारक हे .
गुरु :
ज्ञान , दादा, दादी, विद्या , बुद्धि ,संतति ,धर्म, सुख ,वाहन ,मित्र, यग्न , द्विज , भ्राता ,स्वकार्य, शारीरिक सौष्ठव , हृदयशक्ति , धन , परमार्थ ,पति आदि क्षेत्रों तथा 2 , 5 , 9 ,10 , 11 , वे भावो का कारक हे .
शुक्र :
काम ,भोग-विलास ,पत्नी , वाहन, आभूषण-सुख ,संगीत , साहित्य, काव्य, नृत्य ,श्रृंगार,ऐश्वर्य, शास्त्र , वीर्य , नेत्र ,सास , ससुर ,बुआ , मौसी, नाना, नानी, आदि क्षेत्रों, तथा 7 वे भाव का कारक हे .
शनि :
विपति , सेवक , आयु ,जीवन , मृत्यु ,यात्रा , पशु ,तेल, पुत्र, शूद्र,शिल्प, दर्द ,रोग पृथकता आदि क्षेत्रों तथा 6, 8, 10, 12, वे भाव का कारक हे .
राहु :
मद , मातामह ( नानी ) का कारक तथा विषकारक हे .
केतु :
दादा, उदर, चर्म व आशीर्वाद का कारक हे .
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