केतु का गोचर फल

Colourful dome at a Hindu temple (Mumbai) | Jorge Láscar | Flickr

केतु का गोचर फल- Astrology in hindi

विद्वानों के मत अनुसार केतु 1 - 2 - 3 -4 -7-11 भावो में शुभ फल प्रदान करता हे , और अन्य भावो में अशुभ फल देने वाला मन गया हे .

प्रथम भाव : जन्म राशि से जब गोचरवश केतु प्रथम भाव अर्थात जन्म राशि पर भ्रमण करता हे तो मान-सम्मान में वृद्धि होती हे , धन लाभ होता हे ,और धन बढ़ता हे ,पुत्रो अथवा संतान का भाग्योदय होता हे , यहाँ केतु चंद्र के साथ युति सम्बन्ध बनाता हे ,अत: चंद्र को प्रभावित करता हे और कई बार हानि, रोग , और चौटादि, लगने का भय रहता हे .


द्वित्य भाव : गोचरवश जब चंद्र राशि से केतु द्वितीय भाव भ्रमण करता हे , तो अचानक धन की वृद्धि होती हे ,परन्तु यहाँ भी केतु आने से कई बार हानि की आशंका रहती हे , आँखों के लिए विकार परेशान कर सकते हे .


तृतीय भाव् : जन्म राशि से जब गोचर वश केतु तृतीय आता हे तो अकस्मात् यात्रा होती हे , और भाग्य में वृद्धि करता हे , मित्रो, सहयोगियों आदि से लाभ और सहायता मिलती हे , शत्रु पराजित होते हे पराक्रम बढ़ता हे .


चतुर्थ भाव : जन्म राशि से गोचरवश केतु जब चतुर्थ भाव में भ्रमण करता हे सुखो में वृद्धि होती हे , मान सम्मान बढ़ता हे , अचानक भूमि-प्लाट , आदि की प्राप्ति होती हे , शुभ कार्यो की और प्रवृति बढ़ती हे , तीर्थ यात्रा एवं तीर्थ स्नान होता हे . Astrology in hindi .प्रत्येक भाव से क्या विचार आता हे 7 to 12


पंचम भाव : पंचम भाव गोचरवश आया हुआ केतु संतान को कष्ट देता हे , पुत्रो से परेशानी होती हे , भाग्य में हानि होती हे , धन नाश होता हे , और कार्य असफल रहते हे .


षष्ठ भाव : षष्ठ भाव में गोचरीय केतु  सुख देता हे और धन प्राप्ति होती हे , परन्तु एक मतानुसार यहाँ केतु आने से शत्रु बढ़ते हे और धन अधिक व्यय होता हे , कार्यो में विध्न , बाधाये भी अधिक आती हे , और परिश्रम का फल नहीं मिलता , आँखों में कष्ट होता हे.


सप्तम भाव : गोचरीय केतु जब सप्तम भाव आता हे तो सरकार से सहायता मिलती हे , राज्य से लाभ प्राप्त होता हे , मान-सम्मान में वृद्धि होती हे , वाणिज्य व्यापार अचानक बढ़ जाता हे , धन लाभ होता हे और यात्रा सफल रहती हे , स्त्री सुख मिलता हे .


अष्ठम भाव : गोचरीय केतु जब अष्ठम भाव में आता हे तो भय, हानि और पीड़ा देता हे , अचानक धन की हानि होती हे , विदेश यात्रा की सम्भावना रहती हे , बच्चो को कष्ट होता हे , गुप्त अथवा गुदा रोग की सम्भावना रहती हे .


नवम भाव : जन्म राशि से जब गोचरवश केतु नवम भ्रमण करता हे तो यात्रा विशेषकर लम्बी यात्रा होती हे , तीर्थ यात्रा भी होती हे , अचानक भाग्य में वृद्धि होती हे , मित्रो से लाभ मिलता हे , संतान का भाग्योदय होता हे ,पुत्रो के भाग्य में वृद्धि होती हे ,मान - सम्मान की प्राप्ति होती हे. Hindi jyotish .


दशम भाव : चंद्र राशि से सब गोचरवश केतु दशम भाव में संचार करता हे तो दुःख परेशानी होती हे , सरकार राज्य की और से भय रहता हे  और हानि होती हे , परिश्रम का फल नहीं मिलता और कार्यो में असफलता होती हे , व्यक्ति के प्रभाव में कमी आती हे , मन में अशांति और बेचैनी का आलम रहता हे ,कार्य स्थान में बदलाव या परिवर्तन की संभावना रहती हे .


एकादश भाव : जन्म राशि से गोचरवश केतु जब एकादश भाव में भ्रमण  करता हे मान - यश बढ़ता हे और ख्याति प्राप्त होती हे , धन लाभ होता हे और सरलता से धन की प्राप्ति होती हे , मित्र , रिश्तेदारों ,से लाभ रहता हे ,पुत्र एवं संतान सुख मिलता हे , प्रेम आनंद की प्राप्ति होती हे ,लाटरी ,सट्टे से अचानक लाभ की सम्भावना रहती हे .


द्वादश भाव : गोचरीय केतु द्वादश भाव में पीड़ा देता हे , भय और निराशा का वातावरण रहता हे , व्यय अधिक होता हे , प्रत्येक सुख को नष्ट करता हे , मातृ - भूमि से वियोग करवा देता हे , मन में बेचैनी और अशांति रहती हे ,अनुभव में देखा गया हे की केतु स्त्री सुख देता हे.


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