चतुर्थ स्थान में बैठे ग्रहो का फल - Hindi jyotish

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चतुर्थ स्थान में बैठे ग्रहो का फल :

चंद्र : अगर चतृर्थ स्थान में बलवान चंद्र हो तो , घर , जमीन , खेती से आर्थिक लाभ होता हे , जीवन साथी , माता पिता ,मित्र , वाहन सुख का फल मिलता हे ,ऐसा जातक घर बदलता रहता हे ,नदी के किनारे , दरिया किनारे या पूरी सुख सगवड वाली जगह पे रहता हे ,हमेशा आनंद में रहता हे , अगर यही चंद्र , शनि और राहु की असर में हो तो , मानसिक दर्द होता हे ,निर्बल चंद्र पापग्रह से दृष्ट हो तो कुटुंब , मातृसुख की कमी देता हे ,मानसिक व्यग्रता ज्यादा रहती हे ,दुसरो के साथ कपट करता हे , वृषभ या कर्क राशि का चंद्र हो तो बड़ा मकान, फ्लैट या बंगलो का मालिक बनता हे , चंद्र चतुर्थ स्थान का कारक ग्रह हे . jyotish in hindi

गुरु : चतुर्थ स्थान में बैठा गुरु वाहन , माता , तथा मकान का सुख देता हे , अच्छे मित्र मिलते हे , सब प्रकार के  सुख मिलते हे , आर्थिक लाभ होता हे , भाग्यशाली होते हे , सब जगह इस जातक को आवकार मिलता हे , बुढ़ापा अच्छा जाता हे ,  निवृति के बाद का जीवन अच्छा जाता हे ,36 साल बाद पूर्ण भाग्योदय होता हे ,गुरु विद्या का कारक ग्रह हे , इस स्थान में  बैठा गुरु अच्छा शिक्षण, और सद्गुणों की प्राप्ति करवाता हे , कर्क और मीन का गुरु सुन्दर मकान देता हे . लग्न स्थान में ,पांचवे स्थान में , सातवे स्थान में , नवमे स्थान में , दशमे स्थान में , बैठा गुरु रहने के लिए अच्छा मकान -फ्लैट देता ही हे , अगर यही गुरु छठे, बारवे , स्थान में पाप ग्रह से दूषित हो तो , जग्या का सुख नहीं मिलता , दूषित गुरु ह्रदय रोग , दम ,शरीर के दर्द देता हे , चौथे स्थान में बैठा गुरु कारक माना जाता हे. hindi jyotish

सूर्य : इस स्थान में बैठा सूर्य जातक को परिस्थिति का लाभ नहीं लेने देता , मित्र काम होते हे , अगर होते हे तो भी मित्रता टिकती नहीं हे , ऐसे जातक को हाउसिंग सोसाइटी या , लोन वाला मकान मिलता हे. डिग्री , उच्च अभ्यास पाने के  लिए बहुत सी अड़चनों का सामना करना पड़ता हे , मानसिक चिंता बहुत रहती हे , लेकिन अगर इस  स्थान में मेष राशि का सूर्य हो तो गुप्त सम्पन्ति देता हे. rashifal

शुक्र : चतुर्थ स्थान में बैठे जातक को कफ और आँख के दर्द होने की सम्भावना रहती हे , स्थावर मिलकत मिलती हे , वृद्धावस्था अच्छी जाती हे , ऐसे जातक को समाज में आदर सत्कार अच्छा मिलता हे , लग्न जीवन सुखी होता हे , वाहन का सुख भी अच्छा होता हे , किसी संस्था में बहुत बड़ा अधिकार मिलता हे , कुटुंब प्रेम मिलता हे , स्वगृही शुक्र अगर हो तो सुविधायुक्त मकान मिलता हे और बहुत से  सुख को भोगता हे . rashifal today

मंगल : चतुर्थ स्थान में बैठा मंगल मकान का सुख कम देता हे , अगर को अच्छा मकान मिले तो वो भी कोर्टकेस, जगड़े वाला, या कोई विवादास्पद मकान होता हे , अगर इस स्थान में मेष, वृश्चिक , और मकर का मंगल हो तो रचक्योग का संयोग करता हे , माता और जीवनसाथी दोनों को लिए ये मंगल कष्टदायी होता हे , जमीन - जायदाद के लिए तकरार , जगडा , कोर्टकेस वगेरे होता हे , जीवनसाथी के साथ वाद विवाद होता रहता हे , छोटी बात को बड़ा स्वरुप दे देते हे , बड़ेभाई और  मित्रो के साथ विचारो में मतभेद रहता हे .

शनि : मकर , कुम्भ का स्वगृही शनि और तुला का  उच्च का शनि चतुर्थ भाव में शशयोग की रचना करता हे , ऐसे जातक को राजयोग का शुभ फल मिलता हे , जो बाजी राशिया हे उसमे शनि अशुभ फल देता हे , ऐसा जातक मीठा , कपटी , योग का अभ्यास करने वाला ,होशियार , कार्यसाधक होता हे , माता पिता की जल्दी मृत्यु हो जाती हे , मातृसुख कम  मिलता हे ,माता की तबियत नरम गरम रहती हे , ऐसा जातक पुराने मकान में रहता हे और मकान पर आर्थिक बोज होते हे ,घरमे शांति नहीं मिलती  ऐसा जातक जब बाल्यावस्था में होता हे तो उसको बहुत सारे रोग होते हे , ऐसे  जातक का भाग्योदय वतन से दूर होता हे , बाप दादा की मिलकत का ये जातक सहभागी नहीं हो सकता ,संतान सुख में कमी रहती हे , और अगर कर्क का शनि हो तो माता की मृत्यु जल्दी हो जाती हे. rashifal today

राहु : चतुर्थ स्थान में बैठा वृषभ, कर्क, कन्या , मिथुन का राहु राजयोग दिलाता हे , बाकी राशियों में ये अशुभ फल देता हे ,मिलकत, मित्र, और कुटुंब सुख में कमी रहती हे , माता बीमार रहती हे ,कुटुंब पर आपत्ति का भय रहता हे ,मित्र अच्छे नहीं मिलते , भूतप्रेत का भय रहता हे , माता या पिता एक की मृत्यु जल्दी हो जाती हे , अगर खुद का धंधा हो तो अच्छा नहीं चलता , खोट आती हे ,ऐसे जातक को कभी पुराना मकान नहीं लेना चाहिए , जीवनसाथी से मतभेद या वाद विवाद हो सकता हे ,अगर ऐसा जातक रेंट पर रह रहा हो तो भाडूआत का प्रश्न रहता हे ,ऐसा जातक वायु के रोगो से पीड़ित होता हे ,अगर शनि के साथ राहु हो तो प्रपंची , कपटी , दगाखोर  होता हे , ऐसे जातक की मृत्यु अकुदरति होती हे.  hindi astrology

केतु : चतुर्थ स्थान में बैठा धन या कुम्भ राशि का केतु ,वाहनसुख, वैभव, मकान सुख , मातृसुख और ऐश्वर्य देता हे ,  ज़मीन से लाभ मिलता हे ,सिंह, वृश्चिक, मकर , मीन राशि का केतु शुभ फल देता हे ,बाकी राशिओ में अशुभ फल देता हे , मकानसुख में खामी दर्शाता हे ,ऐसा जातक शंकाशील मानस का होता हे ,जगडालू स्वाभाव , दूसरे के दोषो को देखने वाला ,जीवन कुछ चीज की कमी रहती हे , ऐसे जातक की मृत्यु हॉस्पिटल और एकांत जगह पर होती हे .


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