दिशा अनुसार घर की सजावट ( वास्तुशास्त्र ) - HIndi astrology

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दिशा अनुसार घर की सजावट ( वास्तुशास्त्र )

अग्नि दिशा : 

लोहार ,सोनार, वेल्डिंग जैसे अग्नि सम्बंधित काम करने वालो को अग्नि दिशा में दरवाजा बनाने से फायदा होता हे , खाना बनाने के लिए इस दिशा का उपयोग करे , फ्रिज , मिक्सर , और स्विचबोर्ड ,अग्नि दिशा में रखे.

पूर्व दिशा : HINDI ASTROLOGY

 स्नानगृह , या किसी भी प्रकार का पानी संचय ईशान्य-उतर दिशा में होना चाहिए , पढ़ाई करते समय मुँह पूर्व दिशा में करके बैठे , होम, यग्न, के समय मुँह पूर्व दिशा में रखकर ही करे .

ईशान्य दिशा : 

देवघर , पानी , औषधि रखने के लिए और पढ़ाई करने के लिए ईशान्य दिशा अच्छी हे , इस दिन तीन फुट की ऊंचाई तक का बगीचा बनाये .

उतर दिशा :

 यह कुबेर की दिशा मानी जाती हे , इस दिशा में पैसा तिजोरी जैसी कीमती चीजे रखे , संभवत: यह दिशा खाली रखे , इस दिशा में भारी सामान न रखे .

वायव्य :

 रसोईघर का कच्चा सामान इस दिशा में रखे .

पश्चिम दिशा :

 रसोईघर में बर्तन और सामान इस दिशा में रखे , यह दिशा हमेशा भारी रखनी चाहिए , भोजनकक्ष इस दिशा में होना चाहिए, वास्तु में पश्चिम दिशा में पीपल के पेड़ हो तो वह बहुत लाभदायक होता हे .

नेऋत्य दिशा : HINDI ASTROLOGY

रसोईघर में यह जगह खाली न रखे इस दिशा में भारी सामान रखे , महत्व के निर्णय इस दिशा में ना ले , इस दिशा में मिक्सर , बर्तन जरुरु रखे .

दक्षिण दिशा :

 शयनकक्ष दक्षिण दिशा में होना चाहिए , परन्तु दक्षिण दिशा में पैर करके सोना नहीं चाहिए , इस दिशा में बगीचा या बड़े पेड़ लगाए  .

पूर्व दिशा :

हो सके तो पूर्व दिशा खाली रखे, तीन फुट से ज्यादा ऊँचे ना हो ऐसे पेड़ लगाए , इस दिशा में दरवाजा होना अच्छा माना जाता हे , बाथरूम पूर्व दिशा में होना चाहिए उससे स्नान करते समय मुँह पूर्व दिशा में रहता हे और सूर्य  लाभ होता हे , पूर्व में पानी जमा कर सकते हे , घर में काम आने वाला पानी अगर पूर्व दिशा से आता हे तो यह उत्तम हे , होम हवन , पूजा अर्चन पूर्व दिशा में मुँह करके ही करे , अध्ययन कक्ष इस दिशा में होना अच्छा होता हे ,

ईशान्य दिशा :HINDI ASTROLOGY

वास्तुशास्त्र में ईशान्य दिशा को महत्व प्राप्त हे , पूर्व और उतर दिशा के बिच में ईशान्य दिशा आती हे , इस दिशा में देवी देवताओ की प्रतिमा रखकर उनकी पूजा करने से अच्छे लाभ होते हे ,वास्तुशास्त्र समझने वाले लोग इस बात से एकमत हे , अगर देवपूजा में ,साधना में ,नाम जप में नामस्मरण यशस्वी होना हे तो इस दिशा में देवघर बनाये, बीमार व्यक्ति को अपनी दवाई इस दिशा में रखनी चाहिए , ईशान्य दिशा में पानी का संचय करना बहुत शुभ माना गया हे , कुआ या बोरिंग के लिए ईशान्य दिशा अच्छी हे .

सलोप पूर्व-ईशान्य दिशा में होनी चाहिए , विध्यार्थीओ को इस दिशा में बैठकर पढ़ाई करनी चाहिए , इससे पढाई में लाभ होता हे , लेखक और पत्रकारों को इस दिशा में अनुभव लेना चाहिए ,नौकरी के लिए अर्जी करना, लड़की की शादी के लिए दिखाना , जरुरी काम के लिए बैठक बुलाना इस जैसे काम ईशान्य दिशा में करने से कम महेनत में सफलता मिलती हे ,हमारे घर में ईशान्य से हमारा उत्कर्ष होता हे.


उतर दिशा : 

वास्तुशास्त्र अनुशार , यह कुबेर दिशा मानी जाती हे , इस दिशा में तिजोरी , आलमारी , गल्ला ,पैसा रखना चाहिए ,गल्ला उतर में होने से धंधा अच्छा होता हे , इस दिशा में पढाई करना अच्छा होता हे , हो सके तो इस दिशा को भारी न करे .

वायव्य दिशा : 

इस दिशा में धन धान्य रखे ,वास्तु के वायव्य दिशा में धान्य का कोठार बनाये , जो धान्य इस्तेमाल में नहीं हे उसे यहाँ रखे , कोठार की ईशान्य दिशा में देवघर न बनाये , किसी भी तरह की जरुरी बाते इस दिशा में या इस दिशा के कोठार में न करे , उससे निर्णय लेने में देर होती हे , कोठार में धान्य रखने  व्यस्था करे. 

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