वास्तुशास्त्र और दिशा - Hindi astrology

वास्तुशास्त्र और दिशा - Hindi astrology


वास्तुशास्त्र और दिशा

चार मुख्य दिशा : पूर्व , पश्चिम , उतर, दक्षिण

पूर्व दिशा : 

पूर्व दिशा को सूर्योदय की दिशा भी कहते हे. पूर्व दिशा पितृस्थान की सूचक हे इस वजह से पितृ उपासना करते समय मुँह पूर्व दिशा में किया जाता हे. पूर्व दिशा में अग्नि तत्त्व होते हे. इस दिशा का स्वामी इंद्र हे. पूर्व दिशा सूर्य किरणों का प्रवेशद्धार मानी जाती हे. इसलिए वास्तुशास्त्र में पूर्व दिशा को खली रखने के लिए कहा गया हे .

पश्चिम दिशा :

इस दिशा को सूर्यास्त की दिशा कहते हे. इसके स्वामी वरुण यानि वायु देवता होते हे . इस दिशा में वायु तत्व का प्रभाव रहता हे . पश्चिम दिशा को सुख और समृद्धि का प्रतिक माना जाता हे .वायु चंचल होता हे इसलिए पश्चिम मुखी वास्तु में रहने वाले लोग प्रसन्न और विनोदप्रिय होते हे .

उतर दिशा : 

उतर दिशा मातृभाव दर्शक हे. रातको इस दिशा में ध्रुव तारा नजर आता हे. इस दिशा में जल तत्व का स्थान हे उत्तराभिमुख वास्तु पर हमेशा लक्ष्मी की कृपा रहती हे और धन धान्य और समृद्धि प्राप्त होती हे. उतर दिशा में लक्ष्मी स्थिर रहने का कारन ये हे की इसी दिशा में ध्रुव तारा स्थिर रहता हे. उतर दिशा से मिलने वाला प्रकाश वास्तु के लिए लाभदायक होता हे .

दक्षिण दिशा :

इस दिशा में पृथ्वी तत्व होता हे इसका स्वामी यम हे. इसलिए इस दिशा को मुक्ति प्रदान करने वाली दिशा कहते हे . दक्षिणमुखी घर में रहने वाले लोगो को धैर्य और स्थिरता प्राप्त होती हे परन्तु कुछ दक्षिणमुखी वास्तु को अशुभ मानते हे  .

चार उप दिशा .


ईशान, आग्नेय , नेऋत्य , और वायव्य .


ईशान :

 उतर पूर्व दिशा के बिच जो कोण बनता हे. उसे ईशान दिशा कहा जाता हे . चारो उप दिशाओ में ईशान क पवित्र माना जाता हे. इसलिए साधना ,आराधना, विद्यार्जन ,लेखन जैसे कार्य करने के लिए ईशान दिशा शुभ और लाभदायक होती हे. ईशान कोण मनुष्य को बुद्धि , ज्ञान,विवेक , धैर्य ,और साहस प्रदान करता हे इसीलिए घर के इस कोने को हमेशा स्वच्छ और पवित्र रखना चाहिए .

आग्नेय दिशा : 

दक्षिण और पूर्व दिशा के बिच में जो कोण बनता हे उसे आग्नेय दिशा कहा जाता हे. यह कोना स्वास्थ्य प्रदान करता हे .इस दिशा में अग्नि तत्व स्थिर मन जाता हे. अगर घर का यह कोना गन्दा रहता हो तो घर के लोगो का स्वास्थ्य बिगड़ता हे. इस दिशा में बिजली या अग्नि के उपकरण और लोखन का सामान रखना लाभदायक होता हे .

नेऋत्य दिशा :

दक्षिण और पश्चिम दिशा के बिच के कोने को नेऋत्य दिशा कहते हे . यह दिशा शत्रुनाशक हे इसका स्वामी राक्षस हे. इस दिशा का गलत उपयोग करने से अकाल मृत्यु हो सकती हे. इस दिशा में दूषित सामान रखने से घर के लोगो का चरित्र दूषित बनता हे और शत्रु ताकतवर बनता तथा घर में तकलीफ बढ़ती हे.

वायव्य दिशा : 

उतर और पश्चिम दिशा के बिच का कोना वायव्य दिशा होती हे. यह दिशा शुभ फलदायी हे. वायव्य दिशा मनुष्य को दीर्घायु स्वास्थ्य और शक्ति प्रदान करती हे. इस कोने को दूषित रखने से मित्र भी शत्रु बनने लगता हे तथा कही से भी पीड़ा आने लगती हे और घर का प्रमुख व्यक्ति अहंकारी होने लगता हे .

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