महादशा और उसकी समज - विशोतरी महादशा ( Vishontri Mahadasha ) - 1


महादशा और उसकी समज  - विशोतरी महादशा ( Vishontri Mahadasha ) - 1 

ग्रहो का पूर्णफल उनके महादशाकाल तथा अन्तर्दशा काल  में ही परिलक्षित होता हे।  अत: जातक के शुभाशुभ समय का यथार्थ ज्ञान प्राप्त करने के लिए महादशाओं पर विचार करना आवशयक हे।  

महादशाएं अनेक प्रकार की कही गई हे , परन्तु उन सबमे विशोंतरी महादशा को निर्विवाद रूप में मुख्य स्थान प्राप्त हे।  यद्यपि विशोत्तरी महादशा का आधार मनुष्य की १२० वर्ष की आये हे तथा बाद में मनुष्य की जीवनावधि के कम रह जाने से फलस्वरूप १०० वर्ष की आयु पर आधारित अष्टोतरी महादशा का प्रचलन आरम्भ किया गया , आजकी अन्य महादशा की उपेक्षा विशोंतरी महादशा का फलित ही अधिक सटीक बैठता हे।  

दशाये 5 प्रकार की होती हे . प्राचीन ग्रंथो में अनेक प्रकार की दशाओ का उल्लेख किया गया हे . जिसका पूरा अभ्यास हम बारी बारी से करेंगे . इन 5 महादशा निम्नलिखित हे . 

विशोतरी महादशा 

अष्टोतरी महादशा 

योगिनी महादशा 

लग्न दशा , नैसर्गिक दशा .

मनुष्य की पूर्ण आयु १२०  वर्ष की मानकर  इस महादशा में ग्रहो के दशा काल का विभाजन तथा क्रम निम्नानुसार निश्चित किया गया हे।  

सूर्य की दशा : ६ वर्ष 

चन्द्रमा की दशा : १० वर्ष 

 मंगल की दशा : ७ वर्ष 

राहु की दशा : १८ वर्ष 

गुरु की दशा : १६ वर्ष 

शनि की दशा : १९ वर्षा 

बुध की दशा : १७ वर्ष

केतु की दशा : ७ वर्ष 

शुक्र की दशा : २० वर्ष 

जन्म नक्षत्र अनुसार ग्रह दशा का फल : 

जन्म नक्षत्र                                                         पहली महादशा 

कृतिका , उतरा फाल्गुनी , उतराशाढा                         सूर्य 

रोहिणी , हस्त, श्रवण                                                  चन्द्रमा 

मृगशिरा , चित्रा , घनिष्ठा                                             मंगल 

आद्रा ,स्वाति ,शतभिषा                                               राहू 

पुनर्वशु , विशाखा , पूर्वभाद्रपद                                    गुरु 

पुष्य ,अनुराधा , उतर भाद्रपदा                                     शनि 

आश्लेषा ,जयेष्ठा ,रेवती                                                बुध 

मघा , मूल , अश्विनी                                                     केतु 

पूर्वाफाल्गुनी ,पूर्वाषाढा , भरणी                                    शुक्र 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ