अशुभ एवं दारिद्रय योग - २ - ASUBH YOG IN KUNDLI


 

अशुभ एवं दारिद्रय योग - २ 

नीच कर्म योग : 

यदि किसी  व्यक्ति की जन्म कुंडली में छठे स्थान में बुध, मंगल , मकर राशि में मंगल ,  सप्तम में शनि , लग्न में नीच ग्रह , लग्नेश नीच का होकर पाप ग्रह से युक्त या दृष्ट द्वादश भाव में हो तृतीय निच का हो तो नीच मार्ग एवं नीच कर्म से धन कमायेगा।  यदि जन्म कुंडली को दो दो अधिक नीच ग्रह या पाप ग्रह हो तो भी नीच कर्म एवं नीच अथवा निम्न संगत से धन प्राप्त करेगा।  


चोर योग :

 यदि किसी जन्म कुंडली में निम्न ग्रह स्थिति होगी  तो उसकी कुंडली में चोर योग होता।  ऐसा व्यक्ति बुरी संगत एवं चोरी आदि द्वारा धन सम्पादन करेगा।  


यदि छठे भाव  मंगल , बुध बलवान हो तथा शनि से दृष्ट हो तो वह चोर हो सकता हे।  अर्थात चोरी  प्रवृति रख सकता हे।  Bad yog in kundli 

लग्न में मकर का मंगल और सप्तम में शनि हो तो चोर योग होगा , राज दंड भी मिल सकता हे।  

लग्न स्वामी पाप ग्रह से युक्त हो , नीच स्थान अथवा भाव में हो और तृतीयेश लाभ में हो तो भी चोर योग होगा।  

लग्न का स्वामी पाप ग्रह हो व् लग्न में पाप ग्रह हो व् तृतीयेश नीच का हो तो वह चोरो का गुरु कहलायेगा और होगा।  

लग्न स्वामी व् तृतीय का स्वामी ग्रह नीच राशि all yog in kundli और भाव में हो व् नीच ग्रह से युक्त हो  चोर योग होगा।  

व्याभीचार योग : 

 सप्तम में मंगल व् पापग्रह की दृष्टि हो।  

सप्तम में मंगल शनि एवं राहु उच्च राशि के हो।  

सप्तम  में शुक्र शनि से दृष्ट हो।  

जन्म कुंडली में दूसरे सातवे और दशम भाव का स्वामी  चतुर्थ में हो।  

सप्तम भाव में चंद्र पाप ग्रह  युक्त व् दृष्ट हो।  

लग्न का स्वामी एवं छठे भाव का स्वामी मंगल से युक्त हो 

जन्म कुंडली में शुक्र मंगल में दृष्ट या युक्त हो।  

बंधन योग : 

यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में २-५-६-९-१२ भावो में से किसी भी भाव में पाप ग्रह हो तो बंधन या कारग्रहवास योग का निर्माण होता हे।  द्वितीय भाव में राहु , शुक्र योग , ६-१२ भाव में मंगल शनि योग , ७ वे भाव में शनि हो तो भी बंधन योग होता हे।  vishkumbh yog in kundli यदि जन्म कुंडली में शुक्र नीच का हो तो अपराध तो होगा परन्तु हो सकता हे बंधन न हो अर्थात शुक्र नीच का होने  जन्म कुंडली में बंधन योग न होगा।  

दंड योग : 

यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में १०-११-१२-१ भाव में  सब ग्रह हो तो दंड योग होगा।  ऐसा व्यक्ति नीच प्रवृति व् प्रियजनहिन होता हे।  

कूट योग : 

यदि किसी व्यक्ति  जन्म कुंडली में ४-५-६-७ क्रमशः ग्रह हो तो कूट योग बनता हे।  ऐसा व्यक्ति असत्यभाषी होता हे।  

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