पितृदोष : ज्योतिष की नजर से - Pitra dosh in kundli

 

पितृदोष : ज्योतिष की नजर से - राशिफल 2020

 पितृदोष : ज्योतिष की नजर से  ( राशिफल2020 )

जातक की जन्मकुंडली मे पितृदोष बनने के लिए शनि और राहू दो ग्रहो को जिम्मेदार माना जाता हे । क्यूकी ये दोनों पाप ग्रह सूर्य के शत्रु हे। 

भारतीय ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को पिता का कारक माना जाता हे। अगर जातक की जन्म कुंडली में सूर्य शनि की युति को अगर प्रतियुति हो और अगर सूर्य के साथ राहु बैठा हो ऐसे किस्से में पितृदोष की संभावना बढ़ जाती हे। क्युकी शनि और राहु , सूर्य के परम शत्रु हे। कहते हे की भगवान् श्री राम की कुंडली में भी सूर्य शनि की प्रतियुति के कारण पितृदोष उत्पन्न हुआ था।  इसलिए भगवानने युवा वस्था में पिता का सुख खो दिया और राजपाट खो दिया और वनवास को गए।  भगवान् श्री राम का पितृदोष वो जगत का मुख्य उदाहरण हे।  कौरव और पांडवो को भी पितृदोष लगा था इसलिए इसके फल स्वरुप उनके कुल और कारकिर्दी का नाश हो गया।

पितृदोष के लिए ज्योतिषरत्नाकर ,भावमंजरी ,बृहदजातकम , चिंतामणि ,और पाराशरमुनि क्या कहते हे देखते हे।
बृहद पाराशर के होराशास्त्र के 27 के श्लोक में कहा हे की जन्मकुंडली में  प्रथम अगर पंचम भाव में सूर्य के साथ शनि मंगल बैठे हो और आठवे और बारवे भावमे गुरु के साथ राहु बैठा हो तो जातक के जीवनमे पितृदोष का निर्माण होता हे। 

Pitra dosh in hindi 

 
बृहद पाराशर के श्लोक न ३१ में पितृदोष का वर्णन इस प्रकार हे।
 " हिम्बुके पंचमे पापे पितृशापात सुतक्षय:
पितृसतनाधिपे भौमे शनि राहु समानवेते "
अर्थात पंचम भाव में राहु शनि मंगल हो तो पितृदोष उत्पन्न होता हे।
संतान नहीं होना, संतान मृत्यु होना ,शादी में विलम्ब ,कोई भी काम  में मुश्केली , कष्ट पीड़ा , कर्ज होना ,और असाध्य बिमारी  सबका कारण पितृदोष हे।  ज्योतिष रत्नाकर और सारावली ग्रन्थ में पितृदोष के साथ अन्य दोषो का भी वर्णन किया गया हे। जैसे की कुंडली में चंद्र शनि की युति हो तो भाई भांडू का दोष ,राहु बुध की युति हो तो पुत्री दोष , राहु शुक्र की युति हो तो पत्नी का दोष ,और शनि राहु सर्व दोष उत्नप्प्न करते हे। 

Pitra dosh nivaran 


 
कभी कभी कुंडली में सामने दिखने वाले दोष जातक को नहीं लगते। क्युकी कुंडली के अन्य ग्रहो  निरिक्षण भी करना जरुरी हे।
सूर्य गुरु के साथ चंद्र हो तो पितृदोष खुद ही नष्ट हो जाता हे।
पितृदोष के निराकरण के लिए नारायणबलि ,षोडशपिंड श्राद्ध ,सर्प पूजा ,ब्राह्मण को गौ दान ,और पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए।  
लेकिन अगर आपको बिनजरूरी खर्चे से बचना हे तो निचे दिए गए उपाय करिये।

(१) ॐ ह्रीं सूर्याय नम : की एक माला रोज करे
(२) ताम्बे के लोटे में जल भरकर सूर्य देव को अर्पण करे
(३) अमास के दिन पीपल को सुतार का धागा लगाए।
(४) शनिवार को  पीपल के पेड़ पर जल अर्पण करे।
(५) पीपल के पेड़ के निचे सरसो के तेल का दिया जलाये।
(६) छाया पात्र दान करे। 

पितृ दोष कैसे होता है?


शास्त्र और धर्म कहता हे की "यत पिंडे तत ब्रह्माण्डे " अर्थात ये शरीररूपी पिंड कहासे आता हे और कहा जाता हे उसका उतर सिर्फ इतना ही की हमारा शरीर ब्रह्माण्ड का अंग हे।
शरीर ब्रह्माण्ड से पैदा होता हे और ब्रह्माण्ड में समां जाता हे।  
पितृ दोष की पूजा कैसे करें?  समग्र ब्रह्माण्ड पंचतत्व का बना हुआ हे। इसलिए हमारा शरीर भी जल, अग्नि, वायु, आकाश और पृथ्वी नामक पंच तत्त्व से बना हुआ हे वो निर्विवाद सत्य हे। पंच तत्त्व में मुख्य अग्नितत्व सूर्यमेसे ,पृथ्वी तत्व  मंगलमेसे ,और जलतत्व चन्द्रमसे उत्पन्न होते हे। 


और ये ग्रह इसलिए मानवशरीर पर अच्छी बुरी असर करते हे। 

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