कालसर्प योग और उसके प्रकार : kaal sarp dosh
किसीभी स्थान में राहु और उसके सामने वाला घर यानी सप्तम भाव में केतु हो और इन दोनों ग्रह के बिच सभी ग्रह जैसे की , सूर्य , मंगल , शुक्र, बुध ,गुरु,शनि ,चंद्र , ये सात ग्रह आ जाते हे तो इसे कालसर्प योग माना जाता हे। अर्थात जिस जातक की जन्म कुंडली में इस प्रकार की ग्रह स्तिथि होती हे वो कुंडली कालसर्प वाली कुंडली कहलाती हे।इस योग में राहु मुख का निर्देशक होता हे और केतु पूंछ का निर्देशक होता हे , कुछ ज्योतिषी के अनुसार राहु और केतु के साथ अगर कोई ग्रह आ जाए तो कालसर्प दोष ख़त्म हो जाता हे , लेकिन ये सही नहीं हे। यह कोई सामान्य योग नहीं होता , कुछ लोग इस योग से डर भी जाते हे , और कुछ ज्योतिषी इस योग से लोगो को दरकार पैसा ले लेते हे। काल सर्प दोष , काल सर्प योग , काल सर्प दोष क्या होता हे ???kaal sarp yog, kaal sarp dosh, kaal sarp pooja, kal sarp kya hota he
विद्वानों के मत अनुसार कालसर्प योग २८८ प्रकार के होते हे। जिनमेंसे १४४ प्रकार के योग राहु की उपस्तिथि और १४४ प्रकार के केतु की उपस्तिथि के आधार पर बनते हे। काल सर्प पूजा यहाँ में आपको सभी योग के बारे में नहीं बता सकता इसीलिए जो मुख्य १२ प्रकार के योग हे उसकी ही चर्चा करूँगा।
- अनंत कालसर्प योग
- कुलिक कालसर्प योग
- वासुकि कालसर्प योग
- शंखपाल कालसर्प योग
- पञ कालसर्प योग
- महापक्ष कालसर्प योग
- त्ग्णक कालसर्प योग
- कर्कोटक कालसर्पयोग
- शंखनाद कालसर्पयोग
- पातक कालसर्पयोग
- विषाक्त कालसर्प योग
- शेषनाग कालसर्प योग ----- इस प्रकार के कुल १२ मुख्य कालसर्प योग होते हे , जिसकी हम विस्तृत में चर्चा करेंगे।
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कुलिक कालसर्प योग : अगर किसी की कुंडली में राहु दूसरे स्थान में और केतु आठवे स्थान में हो तो ये योग बनता हे।
वासुकि कालसर्प योग : अगर किसी की कुंडली में राहु तीसरे स्थान में और केतु नवम स्थान में हो तो ये योग बनता हे।
शंखपाल कालसर्प योग : अगर किसी की कुंडली में राहु चतुर्थ स्थान में और केतु दशम स्थान में हो तो ये योग बनता हे।
पञ कालसर्प योग : अगर किसी की कुंडली में राहु पंचम स्थान में और केतु एकादश भाव में हो तो ये योग बनता हे।
महापक्ष कालसर्प योग : अगर किसी की कुंडली में राहु षष्ठम स्थान में और केतु बारवे भाव में हो तो ये योग बनता हे।
तक्षक कालसर्प योग : अगर किसी की कुंडली में राहु सप्तम भाव और केतु प्रथम भाव में हो तो ये योग बनता हे।
कर्कोटक कालसर्प योग : अगर किसी की कुंडली में राहु अष्ठम भाव में और केतु दूसरे भाव में हो तो ये योग बनता हे।
शंखनाद कालसर्प योग : अगर किसी की कुंडली में राहु नवम भाव में और केतु तीसरे भाव में हो तो ये योग बनता हे।
पातक कालसर्प योग : अगर किसी की कुंडली में राहु दशम स्थाम में और केतु चतुर्थ स्थान में हो तो ये योग बनता हे।
विषाक्त कालसर्प योग : अगर किसी की कुंडली में राहु एकादश भाव और केतु पंचम भाव में हो तो ये योग बनता हे।
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