बारह भावों पर चंद्रमा और शनि की युति का फल - Vish Yog

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बारह भावों पर चंद्रमा और शनि की युति का फल

यहां ध्यान दें कि युकि चंद्रमा और शनि का विष योग अशुभ फल देता है, इसलिए आपको हर कीमत पर बड़ी मात्रा में नकारात्मक फल दिखाई देंगे। चंद्रमा-शनि के अलावा, कुंडली में अन्य ग्रह और योग के रूप में फल को बदलने की अधिक संभावना है। सूक्ष्म फल व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों, दशा-महादशा आदि जैसे कई कारकों पर आधारित होता है।
 

प्रथम भाव : बचपन में माता-पिता को खोना। पालन ​​पोषण अन्य महिलाओं द्वारा किया जाता है जैसे ममी, मासी या फई। सिर और मांसपेशियों में दर्द होता है। कठिनाई के बाद अध्ययन पूरा किया जा सकता है। आर्थिक वृद्धि होने में समस्याएं हो सकती हे । Vish yog , vish yog in kundli, vish yog ke upaay नौकरी में पदोन्नति मुश्किल हो सकती है। दोस्त फसाता हे और जातक फस जाता हे । शरीर बीमार दिखता है और चेहरा पीला पड़ जाता है। विवाह में देरी होती हे । शादी में खुशियों की कमी आती हे । जीवन आपदाओं से भरा रहता हे। दीर्घायु योग देता है।

दूसरा भाव : बीमारी या मृत्यु के कारण परिवार के मुखिया को बचपन में आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पैतृक संपत्ति की विरासत में बाधा आती है। वाणी में तीखापन आने की संभावना रहती हे । पैसा कमाने के लिए कुछ और काम करना पड़ता है। हमेशा जातक  नो मनी, नो मनी ’दोहराता है। पैसा खर्च करने में लापरवाही करता हे । खुद का व्यवसाय करता हे । आर्थिक स्थिति कम उम्र में बेहतर हो जाती है। दांत या गले के रोग होने की संभावना है।


तृतीय भाव : अध्ययन अधूरा होने की संभावना है। नौकरियों के माध्यम से पैसा बनाता है। भाई-बहनों के साथ रिश्ते कड़वाहट का अनुभव करते हैं। अक्सर घर चलाने की जिम्मेदारी भाई-बहनों पर पड़ती है। नौकर गद्दार मिलते हे । यात्रा में बाधाओं और कठिनाइयों का सामना करता है। श्वसन रोग होने की अधिक संभावना है। अनुभव जीवन के 42 वें वर्ष से प्रगति करते हैं। थोड़ा धन कमा सकता हे। इस युति का मजबूत फल इस स्थान पर अच्छा नहीं मिलता।


चतुर्थ भाव: माता के सुख में कमी या माता से असहमति की संभावना है। जन्मभूमि को छोड़ना पड़ता है। मध्यम आयु में, आर्थिक स्थिति ठीक है, लेकिन अंत में, फिर से पैसे की कमी होती हे । स्वयं दुखी रहता हे और निर्धन होकर लंबा जीवन जीता है। स्वयं की मृत्यु के बाद, उसके बच्चे का  भाग्योदय होता हे । बिना निवृति लिए घर पे बैठने की बारी आती हे । किराए के मकान में मौत होने की संभावना है। पुरुषों में हृदय रोग होने की संभावना अधिक होती है और महिलाओं में स्तन रोग होने की संभावना अधिक होती है।


पंचम भाव : यह युति  पुरुष राशि में शिक्षा को पूरी करवाती हे । कभी-कभी शादी की अनुमति नहीं होती है। अगर शादी होती है, तो शादी की खुशी कम होती है। संतान प्राप्ति से वंचित होती हे । बच्चे होने की संभावना अल्पकालिक है। वेदांत का अध्ययन करता है। कन्या की राशि में इस राशि का होना शिक्षा में बाधा बन सकता है। बच्चे पैदा होते हैं, लेकिन बच्चे माता-पिता के लिए बेकार हैं। नौकरी में जीवन बिताता हे । नाम कमा सकता हे ।


षष्ठम भाव : पुरानी बीमारी से पीड़ित।  ऐसा जातक पुरानी बीमारी से पीड़ित होता हे. खुदके मायके से कोई भी प्रकार की सहाय नहीं मिलती।  जो लोग स्वभाव में अच्छे होते हैं वे व्यवसाय में प्रतिस्पर्धियों द्वारा नाराज होते हैं। नौकरी से सेवा निवृत्ति लेनी पड़ती हे । घर में चोरी होने की संभावना है। ये लोग पूजा में लगे रहते हे । समाज के लिए दृष्टांत रूप होते हे।


सप्तम भाव : किसी महिला की कुंडली में पहले विवाह में देरी और टूटने की संभावना है। दो शादिया हो सकती हे।  किसी व्यक्ति की कुंडली में विवाह होने में देरी होती हे । पत्नी विधवा होती हे यातो बड़ी उम्र की मिल सकती हे।  कड़वाहट और मतभेदों के कारण शादी में खुशी की कमी रहती हे। साझेदारी के व्ययसाय में नुक्सान आता हे । ससुराल वालों से कोई मदद नहीं मिलती है। ऐसे जातक लड़ाई जगडा करने से दूर रहता हे।

आठवां भाव : लम्बी बिमारी और गुप्त रोग होने की सम्भावना रहती हे।  जीवन में किसी विशेष सफलता की प्राप्ति से वंचित रहता हे।  जीवन रेखा लंबी होती है। अंतिम समय मुश्किल बना हुआ रहता हे।  यदि ये लोग अपनी मातृभूमि से दूर गर्म क्षेत्र में रहते हैं तो जीवन बेहतर बनता हे.


नवम भाव : भाग्य के उदय में बाधा का अनुभव होता है। कार्यों में देरी से सफलता मिलती है। कमर के साथ-साथ पैरों में भी कठिनाई होने की संभावना है। जीवन अस्थिर रहता है। भाई-बहनों के बीच मतभेद उत्पन्न होने की संभावना है। यात्रा कष्ट देती है। ईश्वर में विश्वास कम होता है।

दशम भाव : पिता से संबंध कटु रहते हे।  विदेश यात्रा संभव होती हे । नौकरी में परेशानगति और व्यापार में हानि होने की संभावना है। पैतृक संपत्ति प्राप्त करने में कठिनाई होती है। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती हे । दसवें घर में चंद्रमा और शनि की युति पत्नी के अभिशाप का रूप धारण करता है। शादी में खुशियों की कमी है। अक्सर जातक अविवाहित रहता है। वेदांत में आगे बढ़ता है। ऐसा जातक साधू और वैरागी बन जाता हे।

ग्यारहवां भाव: दो पत्नियां होने का योग बनता है। अधिक संतान प्राप्त होती है। एक बच्चा होने से खुशी नहीं मिलती है। बुरे दोस्त मिलते हे । ऐसा जातक कोई भी काम करले कोईभी फायदा नहीं रहता । अंत समय में कठिनाई की संभावना है। पैसा ही सब कुछ है ऐसा उसका मानना होता हे । ग्यारहवें भाव में प्रबल शनि बहुत सुख देता हे ।


बारवा भाव : जातक निराश रहता हे । Vish yog bhang  रोगों के इलाज में अधिक समय लगता है। व्यसनी बनना धन का नाश करने वाला होता है। बहुत मेहनत करने के बावजूद शिक्षा अधूरी रह जाती है। अपनी कठिनाइयों के कारण वह अक्सर आत्महत्या करने की सोचता है। ऐसा जातक एक धर्मोपदेशक बन जाता है, और धर्मशास्त्री भी बन जाता हे । कभी कभी अपनी मृत्यु का दिन खुद बताकर देह त्याग करने वाला होता हे। 


विष योग Vish yog ke upaay  के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए शिवजी की पूजा की जानी चाहिए। सुबह स्नान करने के बाद दूध में काले तिल मिलाकर शिवलिंग पर अभिषेक करें, मंत्र का उच्चारण करें 'ओम नम: शिवाय'। नियमित महामृत्युंजय मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। शनिवार को सूर्यास्त के बाद गरीब, अनाथ, बूढ़ा या जरूरतमंद व्यक्ति को शनि की चीजों का दान करना चाहिए।  माता पिता के आशीर्वाद से जीवन सुखमय बनता हे , रोज माता पिता के पैर छूकर कोई भी काम की शुरआत करनी चाहिए।


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