सूर्य और शनि का संबंध


सूर्य और शनि का संबंध


सूर्य राजा है, तो शनि दास। सूर्य प्रकाशमान है, शनि अंधकारमय है। सूर्य गर्म है, शनि शीतल है। सूर्य उज्ज्वल और प्रकाश से भरा है, शनि पीला है। सूर्य जीवन है, शनि मृत्यु है। सूर्य अहंकार का पोषण कर रहा है, शनि विनम्रता का प्रेमी है। सूर्य व्यक्तित्व का कारक है, शनि जनता का कारक है। सूर्य उतरायण में मजबूत
हे  ,शनि दक्षिण में मजबूत हे । सूर्य मेष राशि में उच्च और तुला राशि में नीच का, शनि मेष राशि में नीच और तुला राशि में उच्च का होता है। जब कुंडली में परस्पर विरोधाभासी गुणों और स्वभाव वाले ये दोनों ग्रह आपस में मिलते हैं, तो जीवन नीरस हो जाता है. Astrology in hindi शनि साढ़ेसाती उपाय

शनि सूर्य के पुत्र हैं। पिता और पुत्र के संबंधों के बावजूद सूर्य और शनि के बीच शत्रुता है। प्रकाश और अंधकार कभी एक जगह नहीं हो सकते। कुन्डलीमे जब सूर्य और शनि युति, प्रतियुति , केंद्रयोग या दृष्टियोग से सम्बन्ध में रहते हे तो जीवन संघर्षमय बन जाता हे । आत्मा निरंतर बंधन और जिम्मेदारी का अनुभव करती है। जीवन में आप जो भी हासिल करना चाहते हैं, उसके लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी। सफलता की सीढ़ी चढ़ने में दूसरों की मदद का अभाव होता है। शायद ही यश और कीर्ति प्राप्त होती हे । आत्मविश्वास की कमी। नाराजगी का डर सत्ता में रहने वालों पर रहता है। उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता है। उच्च स्थिति बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। कभी-कभी उच्च स्थिति से गिरना। उच्च अधिकारियों के साथ सामयिक घर्षण या तर्क उत्पन्न होते हैं। निलंबित होने या नौकरी से बर्खास्त होने का संदेह। सरकारी काम भी रुक रुक कर होते हे खूब अड़चनों का सामना करना पड़ता हे । जिंदगी भर कोई ने कोई सजा अपमान या किसी प्रकार के दंड का भय रहता हे ।  सामाजिक प्रतिष्ठा कम हो ऐसी घटनाये बनती हे । सामाजिक रूप से शर्मनाक स्थिति में रखे जाने का खतरा रहता हे.  Surya shani gochar, surya shani yuti

सूर्य पिता का कारक है। सूर्य और शनि का सम्बन्ध रखने वाले जातक पिता से दूर होते हे । पिता के साथ वैचारिक मतभेद हैं। अक्सर पिता सख्त और अनुशासित होते हैं। उच्च उम्मीदें रखने वाले होते हे । जीवनमे सिद्धिओ की प्राप्ति के लिए जातक को भेजने वाले होते हे , जातक के जीवन को एक समय पत्रक में बाँध कर चलने वाले होते हे। पिता के साथ मधुर और सौहार्दपूर्ण संबंध का अभाव। अक्सर पिता दयालु और देखभाल करने वाला होता है। लेकिन वे कमजोर हैं और अपने वयस्क जीवन में पिता के रूप में एक मजबूत, सुरक्षात्मक और सुरक्षात्मक पिता की भूमिका नहीं निभा सकते हैं। चाहे आर्थिक रूप से या भौतिक रूप से असफल हो या खराब स्वास्थ्य के कारण। अक्सर, पिता घर से दूर रहता है या व्यवसाय के लिए व्यस्त रहता है और परिवार के साथ समय नहीं बिता पाता है। कभी-कभी एक रिश्तेदार अपने पिता को कम उम्र में खो देता है। जीवन में किसी तरह, पिता की खुशी का अभाव होता हे  है। कभी-कभी ऐसा होता है कि पुत्र के जन्म समय पिता को कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। कभी कभी ऐसे जातक का जन्म पिता के भाग्य को कम करता हे । सूर्य और शनि का सम्बन्ध रखने वाले जातक कभी भी एक छत के निचे पिता के साथ न रहे , वर्ना पिता से बहुत ज्यादा मतभेद रहते हे.


सूर्य-शनि का संबंध स्वयं से अलग होने की भावना का अनुभव कराता है। वे अपनी भावनाओं और विचारों को असीमित तरीके से व्यक्त कर सकते हैं। कठोर और कठोर व्यक्तित्व हैं जो नियम बनाते हैं। ऐसे जातक का अहम् ज्यादा होता हे , जो छोटी छोटी बात पे टूट जाता हे हैं। शिस्त के आग्रही होते हे ।  वह गंभीर है और जीवन को बहुत गंभीरता से लेता है। जीवन में मस्ती, मनोरंजन और खेल का अभाव रहता हे । मानसिक दृष्टिकोण परिपक्व है और व्यक्तित्व पुराना है। खुद के प्रति क्रूरता दिखाता है। आप अपनी गलतियों और दोषों के लिए खुद को माफ नहीं कर सकते। खुद की परीक्षा लेते हे और दूसरे लोग भी उसकी परीक्षा करे ऐसा उनका अभिगम होता हे । दुसरो  द्वारा खुदकी स्वंतंत्रता पर रोक लगाईं जा रही हे ऐसा वह सोचते हे .हताश जीवन जीते हे . ऐसे जातक कभी सयंमी , तपस्वी और सीधा जीवन जीने वाले होते हे , लम्बे समय की योजना घड़ने वाले होते हे , अपने आने वाले जीवन का आयोजन करने वाले होते हे।  उनको खुद से बड़े लोग और वृद्ध लोगो के साथ ज्यादा बनती हे , सामाजिक सेवा के कार्यो में रस लेनेवाले होते हे।  लम्बा सोचे बिना कोई भी कार्य नहीं करते , कभी वो कुटुंब के मुखिया होते हे और कुटुंब की सब जिम्मेदारी उठा लेते हे ,सूर्य स्वास्थ्य का कारक है। सूर्य-शनि गठबंधन या उलटा स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। जीवित रहने की क्षमता। आँखें कमजोर हैं या दृष्टि हानि का खतरा है.

सूर्य और शनि का आंशिक मिलन विवाह के सुख को कम करता है। शादी में देरी हो रही है या कभी-कभी शादी भी नहीं होती है। कुटुंब सुख का अभाव रहता हे । इस योग को सांसारिक सुख से वैर माना जाता है। लेकिन सूर्य और शनि के बीच का संबंध आध्यात्मिक तरीके से आगे बढ़ने के लिए उत्कृष्ट फल देता है। जातक आसानी से तपस्या, ध्यान और योग का मार्ग प्रशस्त कर सकता है.

जन्मकालीन सूर्य से गोचर शनि का परिभ्रमण जीवन बदलने वाला काल है। कई प्रकार की उपाधि या चिंता का सामना करना पड़ता हे । काम का बोझ बना रहता है और जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। कड़ी मेहनत की आवश्यकता है। जीवन एक विशिष्ट समय सीमा में बंध हो जाता हे । एक तरहका अनुशाशन आ जाता हे । अक्सर खुद के लिए समय की कमी होती है। लगता है वे अपनी शक्ति और स्वतंत्रता में संयमित हो गए थे। निजी और पेशेवर जीवन में असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है। 
पदोन्नति पाने में देरी होती हे । यदि मिल जाए, तो जिम्मेदारियों के कारण तनाव बना रहता हे । वरिष्ठों के साथ काल्पनिक घटनाएं होती हैं। आरोप , आक्षेप और बदनामी का भोग बनना पड़ता हे । एक अजीब जगह में परिवर्तन होता है। कभी कभी नौकरी छोड़ देते हे या छूट जाती हे बेकारी का सामना करना पड  सकता हे , या जो बेकार होते हे उनको नौकरी मिल जाती हे । स्वयं द्वारा किए गए कार्यों के लिए कोई उचित इनाम या प्रशंसा नहीं नहीं मिलती । सरकारी कार्यों में देरी और व्यवधान। । पद या शक्ति को त्यागना पड़ता है। सामाजिक अवज्ञा की स्थिति उत्पन्न होती है। अपमानजनक या शर्मनाक स्थितियों की घटना घट जाती है। इस दौरान पिता के स्वास्थ्य की देखभाल का ध्यान रखना पड़ता हे । पिता से मतभेद होने की संभावना है। कन्या की कुंडली में यह गोचर विवाह करवाके पिता का घर छुड़वा देता हे और ससुराल भेज देता हे । पिता शादी से पहले छाता प्रदान करता है और शादी के बाद पति छाता प्रदान करता है। विवाहित महिलाओं की कुंडली में सूर्य से शनि की परिक्रमा कभी-कभी पति के लिए चिंताजनक समय का संकेत देती है।यदि पनोती चलती हो और जन्म से सूर्य भी शनि के सम्बन्ध में आता हो तो पनोती का यह काल बहुत ही कठिन रहता हे , अगर दशा शुभ चल रही हो और शनि योगकारक हो तो सूर्य पर से शनि का गोचर भ्रमण जीवन में अच्छे परिवर्तन लाता हे.


ध्यान रखे ऊपर लिखे गए तथ्य जातक की व्यक्तिगत कुंडली पर निर्भर करते हे.
 

 

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ