प्रत्येक भाव से क्या विचार आता हे ? - भाव 1 TO 6 - ASTROLOGY IN HINDI

Astrological Clock, Torre dell'Orologio, Venice | Spencer Wright ...

प्रत्येक भाव से क्या विचार आता हे ? - भाव 1 TO 6

Astrology in hindi


प्रथम भाव : इसे तनु भाव भी कहते हे , इससे शरीर , रूप , बल , स्वभाव , सुख दुःख , मस्तिष्क का विचार होता हे , इसे लग्न भाव भी कहते हे , यह अतयंत महत्वपूर्ण भाव हे , किसी भी व्यक्ति के जीवन सम्बन्धी सब कुछ इस भाव से  जाना जाता हे ,आयु , शारीरिक सुख - दुःख , रोग , स्वास्थय ,जीवन - शक्ति , व्यक्तित्व ,जीवन में संघर्ष , मान - सम्मान , ऐश्वर्य, जीवन प्रारम्भ ,विचार शक्ति ,सफलता , असफलता ,उच्च शिक्षा ,लम्बी यात्रा , शत्रु की बीमारी ,बच्चो की यात्रा ,भाई के बंधू , बड़े भाई के पडोसी तथा यात्रा विचारी जाती हे , सिर , चेहरे का ऊपरी भाग , मस्तक पर उसका मुख्य प्रभाव होता हे.

दूसरा भाव : इसे धन स्थान भी कहा जाता हे , सम्पन्ति ,खजाना ,लाभ-हानि ,आभूषण ,रत्न , धन, मूल्यवान वस्तुए , धन सम्बन्धी दस्तावेज , वाक् शक्ति ,घर , कुटुंब, पति-पत्नीका घर से सम्बन्ध ,सुख-दुःख , धन संग्रह ,नेत्र दृष्टि , दाई आँख ,स्मरण शक्ति , कल्पना शक्ति , संवृद्धि, लाभ-हानि, पत्नी  की आयु , भाग्य ,बैंक बॅलन्स ,खाद्य पदार्थ ,वाणी ,विधता,आदि का विचार होता हे , इसका प्रभाव कण्ठ , नेत्र , मुख ,जीभ ,नाक ,दांत , गला ,और नाख़ून , पर होता हे , यह मारक स्थान भी हे . शनि साढ़ेसाती के उपाय


तृतीय भाव  : इसे सहज अथवा साथ में उत्त्पन हुए भ्रातु व् पराक्रम भाव अर्थात स्थान भी कहा जाता हे , इससे भाई बहिन ,भाइयो का सुख , पास  सम्बन्धियों सुख , या छोटी यात्रा , पराक्रम , साहस , पडोसी ,मानसिक , झुकाव ,योग्यता ,स्मरण शक्ति ,बुद्धि ,दृढ़ता ,वीरता , चचेरा भाई , रेत , बैल गाडी , वायरलेस , पोस्ट व् टेलीग्राफ ,पत्र -व्यवहार , लेखन ,घर बदलना ,अफवाह ,चुगलखोरी ,परीक्षा में बैठना ,टेलीफोन करना ,मित्र , लेटर बाक्स ,रेडिओ ,टेलीविजन ,सिग्नल , रिपोर्ट , रिपोर्टर ,पब्लिसिटी , हस्ताक्षर ,सम्पति का बटवारा ,विज्ञान ,खाने वाले फूल ,गणित आदि विचार जाता हे , इस भाव से नौकर - चाकर , चाचा , मामा , दासी , हाथ , कान सम्बन्धी रोग , कानो के आभूषण का भी विचार किया जाता हे , इसका मुख्य  प्रभाव हाथ , बाहु , कन्धा ,कान और कालर की हड्डी पर होता हे. (astrology in hindi )

चतुर्थ भाव : इसे सुहद ,पाताल और सुख स्थान भी कहा जाता हे ,  इस भाव से सुख-दुःख , माता , गृह ,गृह का सुख ,घर का वातावरण , जीवन का अंत ,कब्र ,गुप्त जीवन ,वाहन , खेती की जमीन , पैतृक सम्पन्ति ,  फलो का उद्दान ,गुप्त खजाना , विद्या ,कुंआ ,दूध ,तालाब , जल , जल का स्तोत्र , भूमि, बगीचा ,चौपाया ,मित्र ,सुख ,बंधू ,ससुर ,नानी ,और छाती का विचार होता हे , इसका मुख्य प्रभाव छाती और पेट पर होता हे .

पंचम भाव : इसे सूत भाव भी कहा जाता हे , इससे संतति , गर्भ ,विद्या ,शील स्वाभाव , मंत्र , उपासना ,सट्टा , लॉटरी , या इसी प्रकार के व्यवहार में यश , अपयश ,आनंद ,बुद्धि , स्वाभाव ,मन का झुकाव , सुख - आनंद , कला, योग्यता ,प्रतिमा , मनोरंजन , खेल तमाशे ,प्रेम , प्रेमसंबंध , गाना , बजाना , डांस ,शेर ,धन लगाना ,सिनेमा , आध्यात्मिक विधा ,धार्मिक अवस्था ,उच्च विधा ,उपासना ,विचार किया जाता हे , इसका मुख्य प्रभाव ह्रदय , पीठ व् कुक्षि पर होता हे . ( Jyotish in hindi )


षष्ठ भाव : इसको रिपु स्थान भी कहा जाता हे , इससे मामा , मौसी ,शत्रु ,होनेवाला रोग , बीमारी , नौकर ,सेवक  , अपने अधीन कार्य करनेवाले , क्रूर कर्म , बंधन , अपयश ,भय, हानि, रोग, चिंता, झगड़ा , भोजन, नौकरी ,उधार ,किरायेदार ,कंजूसी ,किसी कार्य में रूकावट ,आँखों की बिमारी , स्वास्थ्य एवं सफाई माता की छोटी यात्राएं , प्रथम संतान की धन की स्तिथि ,पत्नी ,पार्टनर के गुप्त शत्रु ,पत्नी से जुदाई , पिता का कारोबार ,बड़े भाई को खतरा ,घोड़े ,भैंस ,पशु ,चोरो का भय , लड़ाई , सौतेली माँ आदि का विचार होता हे , इसका मुख्य प्रभाव कमर , आंत , अंतड़ियो ,नाभि और पेट विशेषकर पेट के निचले भाव पर होता हे.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ