यात्रा होगी या विदेश यात्रा ? जानिए आपकी कुंडली में केसे हे योग ?
यात्रा और विदेश यात्रा को केतु से भी देखा जाता जाता हे . तो आइये जानते हे की केतु आपकी कुंडली में कोनसे भाव में बेठा हे और यात्रा और विदेश यात्रा में क्या फल देगा . ( केतु का फल )
केतु प्रथम भाव में : यात्रा नहीं होगी , यानि विदेश यात्रा नहीं होगी , यदि होगी तो वापस आना पड़ेगा .
केतु द्वितीय भाव में : पदौनात्ति पाकर यात्रा होगी , नहीं तो नहीं होगी , विदेश यात्रा होगी और लाभ होगा .
केतु तृतीय भाव में : विदेश योत्र अवश्य होगी , कोई संदेह नहीं हे .
केतु चतुर्थ भाव में : विदेश यात्रा नहीं होगी, यदि जातक जाएगा तो माता के पास वापस आना पड़ेगा .
केतु पंचम भाव में : स्वयं कोशिश और संतान के प्रयत्न से विदेश यात्रा होगी, शादी , प्रेम सम्बन्ध भी मददगार रहेंगे .
केतु छठे भाव में : विदेश यात्रा के लिए संघर्ष करना पड़ेगा , यात्रा फिरभी रह जायेगी . ( विदेश यात्रा )
केतु सप्तम भाव में : अगर केतु सप्तम भाव में हे तो यहाँ पत्नी और परिवार होगा , अवश्य विदेश यात्रा होगी.
केतु आठवे भाव में : अगर केतु आठवे भाव में हे तो इच्छानुसार यात्रा नहीं होगी ,और न ही लाभ होगा .
केतु नवम भाव में : केतु अगर नवम भाव में हे तो आप विदेश यात्रा कर पाओगे और लाभी भी बहुत होगा .
केतु दशम भाव में : केतु अगर आपके दशम भाव में हो तो यात्रा तो होगी पर हानि का सामना करना पड़ेगा .
केतु एकादश भाव में : अगर केतु एकादश भाव में हे तो विदेश यात्रा के लिए बहुत प्रयास करना पड़ेगा फिर भी वीजा मिलें में आशंका रहेगी .
केतु बारवे ( द्वादाश् ) भाव में : विदेश यात्रा अवश्य होगी , सारा परिवार विदेश में होगा और लाभ भी मिलेगा.
कुंडली के अनुसार विदेश यात्रा
मित्रो हमने सिर्फ केतु को लेकर बात की हे . दुसरे ग्रह को भी देखा जाता हे , परन्तु कुडंली में विदेश योग के लिए सबसे ज्यादा केतु का महत्व मन जाता हे.
तो आप अपनी कुंडली देखिये और निरिक्षण करिए की आपकी कुंडली में केतु कहा हे, कोनसी राशी में हे और किस नक्षत्र में हे .
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