सूर्य महादशा फल : महादशा फल ( Surya ki mahadasha ka fal )
जन्मकुंडली में सूर्य किसी भी भाव का स्वामी हो सकता हे . अत : सूर्य जन्म कुंडली में शुभ , अशुभ जैसा भी होगा और जिस भाव का स्वामी होगा उस अनुसार ही शुभ , अशुभ , फल करेगा . अत : सूर्य का विभिन्न भावो का स्वामी होने से क्या महादशा फल हो सकता हे ये बताने की कोशिश कर की जा रही हे .
प्रथम भाव : यदि सूर्य प्रथम भाव का स्वामी अर्थात लग्नेश हो और साथ ही बलवान हो तो वह अपनी दशा में शुभ फल देता हे . व्यक्ति को लाभ होता हे , और उसका जीवन स्तर अवश्य ऊँचा होता हे . अधिकार प्राप्ति होती हे और ऊँचा पद मिलता हे , यदि सूर्य लग्नेश होकर कमजोर हो तो विपरीत फल मिलेगा . मान सम्मान , पद प्रतिष्ठा में कमी आती हे .
द्वितीय भाव : यदि जन्म कुंडली में सूर्य द्वितीय भाव का स्वामी होकर बलवान हो धन सम्पति देता हे . वह अपनी दशा में पद प्राप्ति , संतान को पद प्राप्ति , उच्च दीक्षा , प्रभावशाली लोगो से मेल और मान सम्मान बढ़ता हे .व्यक्ति की पद प्रतिष्ठा बढाती हे और परिवार में सुख समृद्धि बढती हे . परन्तु यदि सूर्य निर्बल होगा तो विपरीत फल देगा . धन हानि और पद हानि हो सकती हे .surya mahadasha fal कुटुंब में कलह कलेश , रहता हे . और आँखों की ज्योति पर भी पूरा प्रभाव नजर आएगा . परन्तु यदि राहू शनि के प्रभाव में होगा तो मेडिकल विद्या या मेडिकल विभाग में जा सकता हे .
तृतीय भाव : यदि जन्म कुंडली में सूर्य तृतीय भाव का स्वामी होकर बलवान हो तो अपने अपने महादशा काल में छोटे भाइयो के लिए लाभकारी रहता हे व्यक्ति का साहस एवं प्रभाव बढ़ता हे . बड़े बड़े अधिकारी से मेल झोल बढ़ता हे , जातक के कार्यो में सफलता मिलती हे . मान यश की प्राप्ति होती हे . यदि सूर्य निर्बल हो तो व्यक्ति निरुत्साही सा रहता हे .और कायरता का परिचय देता हे . भाइयो से नहीं बनती और मान यश में कमी आती हे . पड़ोसियों से भी सम्बन्ध प्राय : ख़राब हो जाते हे एसा व्यक्ति पराजय को प्राप्त करता हे .
चतुर्थ भाव : यदि सूर्य जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी होकर बलवान हो तो अपनी दशा में व्यक्ति को धैर्यवान बनाता हे . माता का सुख मिलता हे . और वाहन व् सुख की प्राप्ति होती हे . सरकारी निवास अथवा स्वयम का मकान देता हे . और घरेलु सुख सामग्री पर्याप्त मात्र में मिलती हे . यदि सुयरा निर्बल होगा तो वह अपनी दशा में कष्टकारी रहेगा , माता पिता को कष्ट एवं घर सुख का नाश होगा . रिश्तेदारों सम्बंधियो का व्यवहार भी अच्छा नहीं रहेगा . स्वयं का मकान बनने सरकारी निवास मिलने में विलम्ब एवं कष्ट होगा .जायदाद एवं वाहन हाथ से निकल जाता हे .और अधीनस्थ कर्मचारियों का विरोध भी सहन करना पड़ता हे .
पंचम भाव : यदि जन्म कुंडली में सूर्य बलवान हे और पंचम भाव का स्वामी हे तो अपनी दशा अन्तर्दशा में धन पुत्र प्राप्ति होती हे . संतान का सुख मिलता हे . जीवन स्तर ऊँचा होता हे . लोटरी सत्ता से लाभ होता हे . भविष्य के व्यापर लाभ देते हे . एस अवधि में संतान की भी उन्नति होती हे .विभागीय परीक्षा आदि में सफलता मिलती हे .और दूर सोच की शक्ति भी बढती हे . Surya Mahadasha fal यदि सूर्य पंचम का स्वामी होकर कमजोर हो तो संतान की चिंता और वाणिज्य व्यवसाय में लाभी की कमी होती हे . पेट विकार और लौटरी की प्राय हनी होती हे .
छठा भाव : यदि जन्म कुंडली में सूर्य छठे भाव का स्वामी होकर बलवान हो तो अपनी दशा अन्तर्दशा में शत्रुओ पर विजय देता हे .शत्रुओ एव विरोधियो का नाश होता हे . छोटे भाइयो की आयु बढती हे .और उनके सुख में वृद्धि होती हे . सरकारी नौकरी या किसी संस्थान में नौकरी प्राप्ति होती हे . और उन्नति होती हे . यदि सूर्य निर्बल हो तो अधिक संघर्ष करने पर भी नौकरी नहीं मिलती . Surya ki mahadasha ka fal शत्रु तंग करते हे और और कष्ट भी झेलना पड़ता हे . शारीरिक कष्ट , पेट के रोग लगे रहते हे . और कोर्ट कचेरी जाना आना लगा रहता हे .
0 टिप्पणियाँ