अशुभ एवं दारिद्र्य योग : ज्योतिष की नजर से

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 अशुभ एवं दारिद्र्य योग :

प्रत्येक व्यक्ति अपनी जन्म कुंडली मे राज योगो की ही आशा करता हे । परंतु जेसे पहले कहा गया हे की राजयोगों के होते हुए भी कुंडली मे कई बार ग्रहो के कुयोग से अशुभ योग भी होते हे । अत: इन कुयोगों जिनहे दारिद्र्य योग भी कहा जाता हे  पर भी अवशय ध्यान देना चाहिए । कुयोगों एवं सुयोगों मे जिसका पलड़ा भारी होगा , वही फल जातक को मिलेगा । 

यहा कुछ दारिद्र्य योग दिये जा रहे हे ताकि पाठक जन्म कुंडली मे इनकी भी पहचान कर सके ।

पाप कर्तरि योग : यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली मे लग्न से दूसरे भाव तथा बारवे भाव मे पाप ग्रह या अशुभ ग्रह बेठे हो तो पाप कर्तरी योग बनता हे । इस योग मे जन्म लेने वाला व्यक्ति पाप करने वाला , गलत कार्य करने वाला , कुचक्र रचने एवं चलाने मे प्रवीण और मलिन चित होता हे ।

अशुभ योग : यदि जन्म कुंडली मे जन्म लग्न पाप ग्रह या अशुभ ग्रह से युक्त हो तो अशुभ योग बनता हे । इस योग मे पैदा होने वाला व्यक्ति कामी होता हे तथा दूसरों का धन भी हड़प लेता हे । वह जीवन मे प्राय: असफल रहता हे । और उसका योग कम ही साथ देते हे । ऐसे व्यक्ति को प्राय: जीवन मे दुख , परेशानिया एवं बाधाए घेरे रखती हे ।

केंद्रुम योग : यदि जन्म कुंडली मे चंद्रमा के दोनों और कोई भी ग्रह न हो तो केंद्रुम योग बनता हे । इस योग मे जन्म लेने वाला व्यक्ति हमेशा परेशानी मे एवं दुखी रहता हे । अपने गलत कार्यो के कारण सदैव मानसिक परेशानी से ग्रस्त रहता हे । वह आजीविका के लिए भी इधर उधर भटकता रहता हे । और उसकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं होती । ऐसा व्यक्ति सदैव दूसरों पर निर्भर रहता हे । ऐसे व्यक्ति का घरेलू जीवन भी साधारण ही होता हे और प्राय: संतान द्वारा काष्ठ पाता हे । गृहस्त सुख कम ही मिलता हे और पत्नी से प्राय: मन मुटाव रहता हे । इस योग मे उत्पन्न व्यक्ति दीर्घायु होते हे । 

शकट योग : यदि जन्म कुंडली मे चंद्रमा छठे या आठवे भाव मे गुरु हो तथा जन्म कुंडली मे लग्न से केंद्र स्थान मे गुरु न हो तो शकट योग का निर्माण होता हे । इस योग मे जन्म लेने वाला व्यक्ति अभागा कहा जा सकता हे । ऐसे व्यक्ति को जीवन मे बहुत उतार - चढ़ाव देखने पड़ते हे । रिश्तेदारों का भी वरताव उसके प्रति अच्छा नहीं होता । आर्थिक स्थिति कमजोर रहती हे और ऐसा व्यक्ति कर्ज के भार मे दबा रहता हे । एस व्यक्ति साधारण स्तर का ही होता हे । 

दरिद्र योग : यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली मे लग्न या चंद्रमा से चारो ही केंद्र स्थान ( 1-4-7-10 ) खाली हो अर्थात इनमे कोई भी ग्रह न हो या इन चारो केंद्र स्थानो मे प्राय; ग्रह हो तो दरिद्र योग होता हे । इस योग मे जन्म लेने वाला व्यक्ति बेशक करोड़पति के घर मे जन्म क्यू न हो तो भी ऐसे व्यक्ति को दरिद्र जीवन बिताने को मजबूर होना पड़ता हे । एस व्यक्ति आजीवन के लिए भटकना फिरता रहता हे ।

कपट योग : यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली मे लग्न या पंचम का नवम तीनों स्थानो मे से किसी भी स्थान मे कोई ग्रह नीच राशि मे स्थित हो या लग्नेश , पंचमेश , नवमेश कोई कही भी नीच का होकर बेठा हो और लग्न , पंचम , नवम स्थान मे गुरु कही बलवान होकर बेठा हो और इन तीनों स्थानो के जो भी कोई ग्रह स्वामी हो वह तीनों ग्रह भी लग्न , पंचम, नवम स्थानो को छोडकर कही लग्न से छठे, आठवे, बारवे स्थान मे स्थित हो और लग्न, पंचम, या नवम इन तीन स्थानो मे कही भी राहू या केतू बेठा हो या इन तीन स्वामियों अर्थात लग्न, पंचम , नवम के साथ राहू या केतू बेठे हो और चंद्रमा के साथ मे राहू या केतू कोई भी बेठा हो तो ऐसे ग्रह योग मे जन्म लेने वाला व्यक्ति कपट और झूठ से कार्य करने वाला होता हे । यह योग जितनी अधिक मात्रा मे होगा उतनी ही मात्रा मे वह व्यक्ति झूठ और कपट का सहारा लेगा । 

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