गुरु ग्रह की अन्य ग्रहो के साथ युति
गुरु ग्रह का कुंडलिमे दूसरे ग्रह के साथ अगर युति बनती हे तो केसा फल मिलता हे ? किसी भी ग्रह की युति के साथ वो ग्रह कोनसे ग्रह के घर मे बेठा हे । उस ग्रह पर किस की दृष्टि हे । वो ग्रह कितना बलवान हे उसके ऊपर निर्भर करता हे । आज हम देखते हे गुरु ग्रह की दूसरे ग्रह के साथ युति ।
गुरु - सूर्य : सूर्य तेजस्वी हे और गुरु ज्ञान हे । एसी युति वाले जातक बहुत ही चतुर होते हे । अच्छे आत्मविश्वास वाले होते हे । उनको अच्छा आत्मविश्वास होता हे । उनकी प्रगति मे भी ये युति बहुत ही अच्छा फल देती हे । पिता के साथ ऐसे जातक के संबंध अच्छे होते हे । पिता उनके मार्गदर्शक और बल देने वाले होते हे ।
गुरु - चन्द्र ; ये युति बहुत ही शुभ हे । गुरु चन्द्र का परम मित्र हे । गुरु चन्द्र के योग को गजकेसरी योग कहा जाता हे । एसी युति वाले जातक धन , वैभव, नाम , प्रतिस्ठा सब हांसील करते हे । चन्द्र की स्टीथि को देखकर ही इस युति के फल केसे मिलेंगे वो जाना जाता हे ।
गुरु - मंगल : य एक शुभ युति हे । लेकिन एसी युति वाले जातक मे सात्विक और तामसिक गुण ज्यादा होते हे । मंगल एक योद्धा हे और गुरु उनको अच्छा और सच्चा ज्ञान देते हे । ऐसे जातक अच्छे लीडर होते हे । दोनों ग्रह लक्ष्मी देने वाले ग्रह हे । इसलिए ऐसे जातक अच्छा धन प्राप्त कर सकते हे ।
गुरु - बुध : दोनों ग्रह ज्ञान के साथ बंधे हुए हे । अर्थात दोनों ग्रह ज्ञान प्रदान करते हे । इसलिए ऐसे जातक बहुत ही बुद्धिशाली ,चतुर , हाजरजवाबी , और ज्ञानी होते हे । वो बातचीत मे कुशल होते हे । उनके पास उनके कार्यशेत्र को लेकर अच्छी योजनाए होती हे ।
गुरु -शुक्र ; शुक्र सौंदर्य , प्रेम , स्नेह , और क्ला का कारक ग्रह हे । जबकी गुरु का काम विस्तृतिकरण का हे । इसलिए एसी युति वाले जातक क्लारसिक , स्नेहशील , और सिद्धांतो वाले होते हे । शुक्र प्रेम हे और गुरु ज्ञान हे इसलिए ये लोग ऐसे लोगो के साथ प्यार मे पड़ते हे या जीवन साथी बनाते हे जिसके साथ वो ज्ञान का आदान प्रदान कर सके । ऐसा कहा जाता हे की ज्ञान और सौंदर्य दोनों जिन लोगो मे हो वो लोग एसी युति वाले जातक को आकर्षित करते हे ।
गुरु -शनि : गुरु और शनि दोनों ही शत्रु ग्रह हे । गुरु का कम फेलना हे । और शनि का काम संकोचन का हे । दोनों ग्रह न्याय और कायदे के लिए जाने जाते हे इसलिए ऐसे जातक सिद्धांतवादी , न्यायी , शिस्त मे मानने वाले होते हे । जब कभी कोई कायदे की बात आती हे तो वो लोग उनको मानने वाले होते हे । लेकिन ऐसे जातक संपति , सुख , आनंद , शिक्षण आदि चीज को लेकर मुशकेली का सामना करते हे ।
गुरु - राहू : ये युति एक विवादास्पद और मिश्र फल देने वाली युति हे । दोनों ग्रह की रीत भात अलग अलग हे । गुरु धर्म हे और राहू अधर्म । इसलिए एसे जातक को सब मिलता भी हे और वो खो भी देते हे । ऐसे जातक बहुत ही नामना होती हे लेकिन जीवन मे कोई दाग भी रेह जाता हे ।
गुरु - केतू : दोनों ग्रह धर्म और अध्यात्म के साथ जुड़े हुए हे । इसलिए ऐसे जातक धार्मिक और आध्यात्मिक होते हे । गुरु संतान, परिवार, और स्ंपंति का कारक ग्रह हे । और केतू मोह माया से पर ग्रह हे । इस लिए ऐसे जातक को संतान परिवार आदि चीज को लेकर मुशकेली का सामना करना पड़ता हे । इस युति को भौतिक दृष्टि से खराब मानी जाती हे और आध्यात्मिक दृष्टि से अच्छी मानी जाती हे ।
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