शादी मे विलंब के कारण : ज्योतिष की नजर से



शादी मे विलंब के कारण : ज्योतिष की नजर से 


एक अच्छा लग्न जीवन सुखी जीवन के लिए बहुत ही जरूरी हे । क्यूकी हमारा जीवनसाथी सबसे नजिक का व्यक्ति हे जिसके साथ हम पूरा जीवन बिताते हे । और इसी जीवनसाथी की पसंदगी वो बहुत ही महत्व की बात हे । पहले शादी 20 से 25 की उम्र के बीच हो जाती थी । अब समय चेंज हो गया हे । लड़का हो या लड़की वो खुद के फ्युचर को ज्यादा महत्व देते हे । इसलिए वो शादी भी देर से करते हे । और अब लोग 25 से 30 साल के बीच शादी करते हे , कुछ लड़के लड्कीया तो 30 के ऊपर होने पर भी शादी नहीं कर पाते । 

कभी कभी ढूँढने पर भी हमारे जातक की शादी नहीं होती । और शादी मे देरी होती हे । बहुत ढूँढने पर भी लग्न के संजोग नही बनते हे । ज़्यादातर इसकी वजह ग्रहो का असर भी होता हे । उसके कुछ ज्योतिषिक कारण हे । जिसकी हम चर्चा करेंगे । लग्न जीवन मतलब कुदली का सातवा भाव । लग्न जीवन के कारक ग्रह शुक्र और गुरु हे । और विलंब के लिए शनि ग्रह को माना जाता हे । 

जब कुंडली मे शनि सप्तम भाव मे हो तो लग्न मे विलंब की संभावना रहती हे ।
मंगल अगर सप्तम भाव मे हो तो मंगल दोष कहा जाता हे ऐसे जातक की शादी 28 साल बाद होती हे ।
शनि सप्तम भाव का स्वामी होकर अगर कुंडली मे प्रथम स्थान मे हो तो लग्न मे विलंब होता हे । 
पुरुष की कुंडली मे लग्न का कारक ग्रह शुक्र हे और स्त्री की कुंडली मे लग्न का कारक ग्रह गुरु हे । अगर लग्न जीवन का कारक ग्रह अस्त का हो तो शादी मे विलंब हो सकता हे । 

बुरे स्थान के मालिक ग्रह ( 6 / 8 /12 ) सप्तम भाव मे बेठे हो और सप्तम भाव स्थान पर कोई शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो भी लगन्मे विलंब  हो सकता हे । 

कुंडली मे अगर गुरु निर्बल हो तो लगन्मे विलंब होता हे । 

सप्तम  स्थान के मालिक ग्रह की स्थिति खराब हो और अगर वह अस्त , नीच और वक्री हो और सप्तम भाव मे किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो शादी मे विलंब हो सकता हे ।

शनि और मंगल का सप्तम स्थान मे साथ बेठे हो तो शादी मे विलंब होता हे ।

उसी तरह नवमांश कुंडली मे भी अगर ऊपर की तरह ग्रह की स्थिति होती हो तो लग्न मे विलंब का कारण बनता हे ।
कुंडली मे बुरे मंगल की स्थिति हो और मंगल की महादशा चल रही हो तो लग्न मे विध्न आते हे ।

अगर जातक की कुंडली मे सप्तम भाव मे ग्रह अस्त का या निर्बल हो और उसकी महादशा चल रही हो तो भी विवाह मे विलंब और विवाहभंग का योग बनता हे ।

सप्तम स्थान का मालिक ग्रह शनि हो तो भी शादी मे विलंब होता हे और कभी कभी शादी टूटने के योग भी बनते हे । ये परिस्थिति ज्यादा तर सिंह लग्न मे बनती हे ।

लग्न का समय और लग्न जीवन वो भिन्न बात हे । शादी जल्दी हो या देर से हो सकती हे लेकिन लग्न जीवन का सुख देखने के लिए कुछ और चीज का भी ध्यान रखना पड़ता हे ।

शादी के संजोग के लिए गुरु का गोचर भ्रमण अत्यंत महत्वपूर्ण हे । कुंडली के सप्तम स्थान के मालिक ग्रह पर से गुरु का भ्रमण हो रहा हो अगर तो किसी भी तरह से गोचर का गुरु सप्तम स्थान के साथ हो तो लग्नयोग का सर्जन होता हे ।

जरूरु नहीं के शादी के योग हो तभी शादी हो सकती हे । लेकिन उसके साथ साथ किस दिशा मे हम हमारा जीवन साथी ढूंढ रहे हे वो भी बहुत ही महत्वपूर्ण हे । 

इन सभी चीजों को ध्यान मे रखके ही एक अच्छे जीवनसाथि और अच्छे लग्न जीवन का निर्माण किया जा सकता हे । या तो हम ये कह सकते हे की अच्छा जीवनसाथी पा सकते हे ।


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