सूर्य गोचर फल



सूर्य गोचर फल 


प्रथम भाव : जन्म कालीन चंद्र अर्थात सूर्य जन्म राशि पर प्रथम भाव में होता हे तो परिश्रम अधिक करना पड़ता हे , प्रत्येक कार्य विलम्ब से होता हे , धन नाश होता हे और मान सम्मान में कमी आती हे व्यर्थ की यात्रा करनी पड़ती हे , बिना किसी उदेशय के इधर उधर घूमना पड़ता हे , मन चित उदास रहता हे , स्वास्थय अच्छा नहीं रहता और उदर, विकार , नेत्र व् ज्योति कष्ट, ह्रदय रोग ,रक्त विकार एवं थकावट की सम्भावना रहती हे , मानसिक परेशानी झेलनी पड़ती हे ,परिवार के सदस्य सम्बन्धियों , मित्रो एव सज्जनो से मन-मुटाव , वैचारिक मतभेद हो जाता हे ,आत्मबल द्वारा सफलता मिल सकती हे .

दूसरा भाव : जन्म राशि से गोचरवश सूर्य जब दूसरे भाव संचार करता हे ,तो धन हानि होती हे ,लोग उसको धोखा देकर उसके काम निकलते हे , दुष्ट और बुरे लोगो से मिलकत होती हे , आर्थिक गड़बड़ी , का सामना करना पड़ता हे ,किसी से धोखा मिलने की आशंका रहती हे। डर, भय और चिंता लगी रहती हे , व्यापर और धन-सम्पन्ति की हानि का डर रहता हे ,मित्रो, सज्जनो , सम्बन्धियों से विवाद का भय होता हे ,कुटुंब से हलचल सी बनी रहती हे , समय परेशानी में व्यतीत होता और सुख नहीं मिलता. शनि साढ़ेसाती उपाय


तृतीय भाव : जन्म राशि से गोचरवश सूर्य जब तृतीय भ्रमण करता हे तो शुभ प्रभाव देता हे ,पद की प्राप्ति होती हे और राज्य से सहायता मिलती हे , मित्रो, सज्जनो स्नेहियों एवं भाइयो व् उच्चाधिकारियों से मेल - मुलाक़ात होती हे , व्यक्ति का अन्य लोगो से व्यवहार अच्छा होता हे ,पुत्र सुख प्राप्त होता हे ,शत्रुओ की पराजय होती हे ,और रोग से मुक्ति मिलती हे , भय, कठिनाईओ, उलझनों से छुटकारा मिलता हे , साहस बढ़ता हे और यात्राएं लाभकारी रहती हे , परीक्षा , प्रतियोगिता में भी सफलता मिलती हे , ख़ुशी एवं प्रसन्नता का माहौल रहता हे.



चतुर्थ भाव : जब सूर्य जन्म रही से चतुर्थ भाव में भ्रमण करता हे तो दर एवं भय का वातावरण बनता हे , मान सम्मान में कमी आती हे ,अशांति, कठिनाइया एवं उलझने बढ़ती हे , मानसिक और शारीरिक व्यथा रहती हे ,और घरेलु जगड़े के कारण परेशानी तथा सुख की कमी  आती हे , जमीन म जायदाद एवं वाहन सम्बन्धी कई प्रकार की समस्याए घेरा दाल देती हे , अस्वस्थता के कारन मन चित परेशान होता हे , गृह में सुख सुविधा में कमी आती हे.


पंचम भाव : जन्म राशि में सूर्य का संचार जब पंचम भाव में आता हे तो संतान की चिंता रहती हे , और संतान को रोग उत्पन्न होता हे , प्रिय से खींचाव् की स्तिथि बन जाती हे , राजयधिकारियो से वाद विवाद बढ़ता हे , यात्रा में परेशानी होती हे और दुर्घटना का दर रहता हे , धनहानि होती हे , और मन अशांत रहता हे , मन में अजीब हलचल सी रहती हे , शारीरिक और मानसिक शक्ति में कमी अनुभव होती हे ,स्वास्थय की परेशानी और विशेषकर पेट में गड़बड़ होती हे , उतावलापन बढ़ता हे , और व्यक्ति शीघ्र घबरा जाता हे.


षष्ठ भाव : गोचर का सूर्य जब षष्ट भाव में भ्रमण करता हे , तो कार्य सिद्धि और सुख की प्राप्ति होती हे ,मन में ख़ुशी की एक लहर सी दौड़ती अनुभव होती हे , सरकारी कार्यो में सफलता मिलती हे  और नौकरी द्वारा लाभ होता हे , मन शांत रहता हे  और कठिनाइयों, मुश्केली एवं उलझनों से रहत मिलती हे , अन्न-वस्त्र आदि का लाभ होता हे और रोगो का नाश होता हे ,निज प्रताप में वृद्धि होती हे , नयी नियुक्ति हो सकती हे.


सप्तम भाव : जन्म राशि में सूर्य गोचरवश जब सप्तम भाव में भ्रमण करता हे , घरेलु कलह होती हे , दाम्पत्य जीवन में वैमन्शय की उत्पति होती हे ,स्त्री ,पत्नी  और पुत्र अस्वस्थ रहते हे ,व्यक्ति थकावट अनुभव करता हे , और मन चित उदास रहता हे ,व्यवसाय में बाधाएं उत्पन्न होती हे ,और कार्यो में असफलता मिलती हे , यात्रा कष्टकारी रहती हे ,धन और मानहानि के कारण व्यक्ति परेशान रहता हे ,सेहत अच्छी नहीं रहती और विरोधी परेशान करते हे .


अष्ठम भाव : गोचरवश सूर्य जब अष्ठम भाव में आता हे तो अधिकारी वर्ग से भय रहता हे , जुर्माना , मुकदमा, आदि का दर रहता हे ,अशुभ समाचार मिलते हे , और अशुभ घटनाये होती हे , अपमान का विशेष डर रहता हे ,शत्रुओ से झगड़ा  होता हे ,दोस्तों, मित्रो से विवाद होता हे ,स्वास्थय बिगड़ जाता हे ,शरीर में पीड़ा रहती हे ,और अपच, बवासीर रोग आदि उत्पन्न होते हे , जवार, ब्लड प्रेशर से परेशानी होती हे , पत्नी को भी कष्ट होता हे और विशेषकर गला, कंठ प्रभावित होता हे ,खर्चा बढ़ जाता हे और चोटादि का भय रहता हे .


नवम भाव : गोचर वश सूर्य जब नवम भाव में आता हे तो घर से बाहर रहना पड़ता हे ,बड़ो , मित्रो , भाइयो से विरोध रहता हे ,अपमान का दर रहता हे ,निराशा हाथ लगती हे ,आय की कमी ,बिना कारण धन हानि , कांति का क्षय ,जूठा आरोप लगता हे , अपने प्रिय लोगो से विरह होती हे , असफलता मिलने के कारण व्यक्ति दिन बन जाता हे ,शारीरिक कष्ट, घाव , चोट आदि की आशंका रहती हे , रोग एवं अशांति उतपन्न होती हे .


दशम भाव : जन्म राशि में गोचर वश  सूर्य जब दशम भाव भ्रमण करता हे तो सर्वपक्षीय विकास होता हे ,सरकार एवं सज्जनो द्वारा लाभ होता हे ,प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती हे ,और प्रसन्नता का अनुभव होता हे , राजधिकार्यो और प्रतिष्ठित लोगो से मित्रता बढ़ती हे , और लाभ होता हे ,पदोन्ति का सुअवसर प्राप्त होता हे , मान-सम्मान , यश , गौरव में वृद्धि होती हे ,धन लाभ होता हे , और स्वास्थय अच्छा रहता हे , मित्रो का सुख एवं सहायता प्राप्त होती हे , कार्य स्थान में दब दबा बढ़ता हे , सुख की प्राप्ति होती हे .

एकादश भाव : जन्म राशि में जब सूर्य एकादश भाव में संचार करता हे तो धन लाभ होता हे , मनोकामना पूरी होती हे , हर प्रकार का लाभ मिलता हे , राज्य की और से कृपा की प्राप्ति होती हे , पदोन्ति का अवसर मिलता हे , बड़ो एवं पिता से लाभ एवं पुत्र सुख मिलता हे , आध्यात्मिक एवं मांगलिक कार्य होते हे और बड़ो के अनुग्रह की प्राप्ति होती हे ,मान-सामान मिलता हे , और रोगो से मुक्ति मिलती हे ,स्वास्थय अच्छा बना रहता हे.

 ,सात्विकता बनी रहती हे ,प्रगति ,विकास होता हे , और नविन पद प्राप्त होता हे , सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती हे .

द्वादश भाव : सूर्य गोचरवश जब द्वादश भाव आता हे तो कलेश, धन की बर्बादी साथ लाता हे ,दोस्त भी दुश्मनी करने लगते हे , व्यय अधिक होता हे और कई तरह की कठिनाईओ झेलनी पड़ती हे , राज्य भय और राज्य की और से विरोध होता हे अपमान का दर रहता हे , दूर देश का भ्रमण होता हे ,तथा कार्य एवं पद की हानि होती हे ,मानसिक चिंता बनी रहती हे।  व्यक्ति अस्वस्थ हो जाता हे , पेट, आँखों का कष्ट होता हे , जवर आदि रोग उत्पन्न होते हे ,जगडे , विवाद से मन दुखी होता हे.

परन्तु ये याद रखे की इसके अलावा कोई भी गोचर का फल व्यक्ति की व्यक्तिगत कुंडली पर निर्भर करता हे. 


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