शनि की अनिष्टता एवं साढ़ेसाती व ढैया की तरह जन्म कुंडली में कालसर्प योग भी अत्यंत अशुभ योग समजा जाता हे 3. जब भी किसी व्यक्ति को कोई ज्योतिषी इस बारे में बताता हे तो प्राय; जातक उदास, निरुत्साह और किसी अनजाने दस एवं भय से व्याकुल हो उठता हे . वह दिन रात ऐसा समझने लगता हे जैसे सचमुच कोई खतरनाक साँप उसे काटने जा रहा हे .या उसका जीवन जल्द ही समाप्त हो जाएगा , मन की इस हालत के कारन व्यक्ति के कई कार्य रुक जाते हे , और वह असफलता की और अग्रेसर होने लगता हे.
जब भी ग्रह राहु केतु के अंदर जन्म कुंडली में रहते हे तो कालसर्प योग बनता हे , अर्थात जन्म कुंडली में जब सभी ग्रह राहु केतु के भीतर ही हो तभी यह योग होता हे.
कालसर्प योग वाले व्यक्ति को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता हे , और इसी संघर्ष के कारन वह शिखर पर पहुंच जाता हे , ऐसे जातको का जीवन दुसरो के लिए होता हे , वह अपने लिए नहीं जीते ,अत: कालसर्पयोग को सदैव अशुभ नहीं कहा जा सकता , अत : डरने की कोई जरूरत नहीं हे , यदि फिर भी कोई शंका अथवा पीड़ा हो तो यह उपाय करे .
Astrology in hindi ( hindi astrology )
कालसर्प के निवारण के लिए सोने या चांदी का सर्प अकेला या जोड़ा के साथ विधिवत दान करना चाहिए या शिव जी के मंदिर में दे.
ताम्बे के लोटे में नाग के जोड़े डालकर ( सोने या चांदी के नाग ) तेज बहते पानी में बहाये.
चाँदी का नाग बनवा कर मध्यमा अंगुली में धारण करे.
राहु केतु के वस्तुए नारियल, नीला बस्तर, एवं काले तिल आदि दान करे.
Hi, This is Ravi panchal, I am a Astrologer By Passion & profession, & also like Osho's thoughts, Osho rajneesh. Meditation is my best strength. And i learn from that Osho. Astrology is my passion, i am very inspired by spiritual guru Osho.. I like to Read Everyone's Life.
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